Telangana bypoll: मुनूगोड़े में KCR ने TRS की प्रतिष्ठा बचाई, लेकिन बीजेपी ने फूंक दिया है बिगुल
Telangana by election results 2022: तेलंगाना के मुनूगोड़े उपचुनाव में आखिरकार सत्ताधारी टीआरएस को जीत मिल गई है। अंतिम चुनाव परिणाम आने तक उसकी जीत का अंतर भी काफी हो गया है। लेकिन, भाजपा ने जिस तरह से शुरुआत में वोटों की गिनती के दौरान बढ़त बनाई थी, उससे मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी में अंदर ही अंदर खलबली मची हुई है। क्योंकि, के चंद्रशेखर राव की पार्टी को इस उपचुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए तमाम जोर-आजमाइश करनी पड़ी है और उन्होंने वहां अपना पूरा सरकारी अमला चुनाव के काम में लगा दिया था।
मुनूगोड़े उपचुनाव में आखिरकार जीती टीआरएस
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की सत्ताधारी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति ने प्रदेश के मुनूगोड़े विधानसभा सीट का उपचनाव 10,000 से ज्यादा वोटों से जीत लिया है। लेकिन, टीआरएस के उम्मीदवार के प्रभाकर रेड्डी को अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी प्रत्याशी के राजगोपाल रेड्डी से मतगणना के दौरान काफी कड़ा संघर्ष करना पड़ा। हाल ही में तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम भारत राष्ट्र समिति करने वाली पार्टी को मुनूगोड़े उपचुनाव में जीत दिलाने के लिए सीएम केसीआर ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। भाजपा प्रत्याशी पहले कांग्रेस के विधायक थे और उनके पार्टी छोड़ने की वजह से ही यह उपचुनाव करवाना पड़ा है।
केसीआर ने जीत के लिए पूरी ताकत झोंकी थी
मुनूगोड़े उपचुनाव में जीत के लिए भाजपा और टीआरएस ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। खुद मुख्यमंत्री ने इस चुनाव में जीत के लिए पूरी ताकत लगा दी थी। कई जनसभाएं कीं, अपने मंत्रियों और विधायकों की पूरी फौज को वहां उतार दिया, क्योंकि उन्हें हर हाल में जीत चाहिए थी। इसी का परिणाम है कि जब आखिरी नतीजे का ऐलान हुआ तो हैदराबाद स्थित पार्टी मुख्यालय में धूम-धड़ाका शुरू हो गया। 3 नवंबर को हुए मतदान में इस सीट पर 93% से ज्यादा वोट पड़े थे; और यह अलग चौंकाने वाला तथ्य है। वोटों की गिनती के दौरान एक समय ऐसी स्थिति आ गई थी कि टीआरएस के अंदर खतरे की घंटी बजने का डर पैदा हो गया था। कांग्रेसी उम्मीदवार तो अपना जमानत भी नहीं बचा सका,जबकि यह उसकी सीटिंग सीट थी। जबकि, हाल में राहुल गांधी भी यहां से भारत जोड़ो यात्रा लेकर निकले हैं।
ऐसे बची केसीआर और टीआरएस की चुनावी प्रतिष्ठा
पांचवें दौर की गिनती तक कहना मुश्किल था कि तेलंगाना की इस सीट पर ऊंट किस करवट बैठेगा। टीआरएस के लिए यह जीत इसलिए भी बड़ी राहत की तरह है कि पिछले तीन उपचुनावों में वह भाजपा से दो सीटें हार चुकी है और यदि मुनूगोड़े में ट्रेंड बरकरार रह जाता तो टीआरएस के 2024 में राष्ट्रीय मंसूबे से पहले 2023 में तेलंगाना की उम्मीदों की ही बत्ती लग जाती। पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में लेफ्ट और बसपा के कुछ वोट जिसने राजगोपाल रेड्डी की जीत में मदद की थी, इसबार टीआरएस उसे अपने पक्ष में लाने में सफल हो गई।
कल्याणकारी योजनाओं ने दिलाई जीत-टीआरएस
केसीआर और उनकी पार्टी के लिए संदेश साफ है। अब वह भाजपा को हल्के में लेना छोड़ दें। वह राष्ट्रीय एजेंडे को आगे बढ़ाएं, उससे पहले जरूरी है कि हैदराबाद के मीनारों को फिर से सहेजना शुरू कर दें। मुनूगोड़े में अंतिम परिणाम टीआरएस के हक में यूं ही नहीं आए हैं। इसके लिए प्रदेश के 14 मंत्रियों और करीब 55-60 विधायकों ने रात-दिन मेहनत की है। सारा सरकारी कामकाज छोड़कर वहीं पर डेरा डाला है। प्रदेश सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं के बारे में चप्पे-चप्पे पर जानकारी पहुंचाने की कोशिश की है। इस जीत के बाद केसीआर के मंत्री टी हरीश राव ने कहा है, 'यह जीत टीआरएस की कल्याणकारी योजनाओं के चलते मिली है, जैसे कि 'रायथु बंधु, रायथु भीम और दलित रायथु बंधु। इन योजनाओं ने लोगों के जीवन को बदला है।'
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बीजेपी प्रत्याशी ने लगाया वोटरों को धमकाने का आरोप
वहीं भाजपा प्रत्याशी राज गोपाल ने अपनी हार स्वीकार करते हुए कहा है कि टीआरएस ने 'प्रशासन और पुलिस को गलत उपयोग किया है।' उन्होंने आरोप लगाया, 'उन्होंने मुझे ठीक से प्रचार नहीं करने दिया। उन्होंने चुनाव नियमों का उल्लंघन किया। जब वोटिंग हो रही थी, तब टीआरएस के मंत्रियों समेत तमाम नेता कैश और शराब बांट रहे थे। एमएलए और मंत्रियों ने हर गांव में कैंप किया और लोगों को धमकाया कि टीआरएस को वोट दो, नहीं तो तुम अपनी कल्याणकारी सुविधाओं से वंचित कर दिए जाओगे।'