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तवांग में भारतीय सेना से कैसे पिटी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ? इनसाइड स्टोरी

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Tawang clash: गलवान घाटी में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों का ऐसा हाल किया था कि वह आज तक सच नहीं उगल पाया है। हालांकि, तब भारत को अपने 20 सपूतों की कुर्बानी देनी पड़ी थी। लेकिन, अरुणाचल प्रदेश के तवांग के यांग्त्जे पोस्ट को हड़पने की कोशिश में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की जो पिटाई हुई है, उसे शी जिनपिंग भले ही नजरअंदाज करने की कोशिश करें, चीन की सेना के लिए भुला पाना शायद ही आसान होगा। दरअसल, चीनी सैनिकों ने अपने जनरलों के कहने पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की यथास्थिति बदलने की कोशिश तो कर दी, लेकिन उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं रहा कि जवाब कितना माकूल दिया जाएगा।

तवांग में पर्यटन के विकास से असहज हुआ चीन!

तवांग में पर्यटन के विकास से असहज हुआ चीन!

अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में पिछले कुछ समय से भारत सरकार और राज्य सरकार ने पर्यटन और बुनियादी ढांचे के विकास पर काफी जोर दिया है। खासकर यांग्त्जे के विकास पर इनकी खास नजर है जो कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास ही मौजूद है। तवांग हमेशा से पर्यटकों को लुभाता रहा है। इसलिए नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे वहां पर टॉय ट्रेन निर्माण की योजना पर भी काम कर रहा है। न्यूज18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी पदाधिकारियों ने मंगलवार को आशंका जताई है कि हो सकता है कि चीन ने भारत में चल रही इन्हीं गतिविधियों को रोकने की कोशिश मे घुसपैठ की साजिश रची हो। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को संसद में भी इस झड़प पर बयान दिया है और बताया है कि भारतीय सैन्य कमांडरों के दखल देने के बाद कैसे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के जवान अपने ठिकानों की ओर वापस लौटने को मजबूर हुए।

कैसे पिटी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ?

कैसे पिटी चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ?

चीनी सेना ने LAC पर ऐसी हरकत पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जून,2020 में कोविड महामारी के दौरान करने के बाद की है। भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि पीएलए ने इस उम्मीद में तवांग के यांग्त्जे पोस्ट पर कब्जे की कोशिश की होगी कि इस मौसम में वहां पर भारतीय सेना की मौजूदगी कम होगी। क्योंकि, इस मौसम में वहां बर्फ की चादरें बिछी रहती हैं। सरकारी पदाधिकारी ने न्यूज18 को बताया कि '2015 तक भारतीय सेना उस इलाके में गश्त करती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से हमने कठोर मौसम में भी पोस्ट पर ही रहना शुरू कर दिया है। संभवत: चीनी यह नहीं समझ पाए कि भारत की तरफ इतनी ज्यादा संख्या (सैनिक) में थे।'

बौद्धों के लिए पवित्र तीर्थ स्थल भी है यांग्त्जे

बौद्धों के लिए पवित्र तीर्थ स्थल भी है यांग्त्जे

अधिकारियों के मुताबिक यांग्त्जे इलाके को लेकर 2008 से भारत और चीन के बीच तब से विवाद रहा है, जब चीनियों ने कथित तौर पर वहां पर भगवान बुद्ध की मूर्ति तोड़ दी थी। समुद्र तल से 14,000 फीट ऊंचाई पर बसा यांग्त्जे स्थानीय लोगों के लिए पवित्र स्थल है। यहां पर चुमी ग्यात्से फॉल्स है, जो 108 जलप्रपातों को समूह है। स्थानीय लोग इसे बहुत ही पवित्र मानते हैं। यह स्थानीय गुरु पद्मसंभव से जुड़ा है, जिन्हें द्वितीय बुद्ध माना जाता है। अरुणाचल और तिब्बत मे रहने वाले मोनपा (तिब्बती बौद्ध) के बीच उनका बहुत ही ऊंचा और पवित्र स्थान है।

पर्यटकों को खींचता रहा है तवांग

पर्यटकों को खींचता रहा है तवांग

यही नहीं खुफिया जानकारी के मुताबिक चीन ने जलप्रपात के आसपास सर्विलांस कैमरा, प्रोजेक्टर और बड़े स्क्रीन भी लगा दिए थे। लेकिन, पिछले दो वर्ष में अरुणाचल प्रदेश सरकार और भारतीय सेना ने इस जगह को पर्यटन के तौर पर बढ़ावा देने के लिए रोड कनेक्टिविटी बढ़ाने पर भी जोर दिया हुआ है और बाकी बुनियादी ढांचे का भी निर्माण हो रहा है। 2020 के जुलाई में मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने एक गोम्पा (प्रार्थना हॉल) का भी वहां उद्घाटन किया था, जो कि LAC पर झड़प वाली जगह महज 250 मीटर की दूरी पर है। सीएम खांडू भी इलाके की खूबसूरती सोशल मीडिया के जरिए साझा करते रहते हैं।

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LAC पर चीन की नजर बदल चुकी है

LAC पर चीन की नजर बदल चुकी है

1962 के युद्ध के बाद से भारत और चीन के बीच 3,800 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा डोकलाम में चीन की चालबाजी से पहले तक आमतौर पर शांत रहती थी। लेकिन, 2020 के जून की एक रात पीएलए ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जो हरकत की, उसने दोनों देशों के सीमा वाले रिश्ते ऐसे बिगाड़े कि आजतक पटरी पर नहीं लौटे हैं। तिब्बत के अपने कब्जे वाले इलाके में लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन कोई ना कोई सैन्य खुराफात को अंजाम देता रहा है। थवांग में 9 दिसंबर, 2022 को भी ऐसी ही जुर्रत की गई है। गलवान घाटी में तो भारतीय सेना के 20 जांबाज शहीद हो गए थे और चीन ने आजतक अपने हताहतों की संख्या जाहिर नहीं की है, जिसके बारे में कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट हैं कि उनकी तादाद हम से कहीं अधिक थीं। (तस्वीरें- फाइल/सांकेतिक)


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English summary
China is not happy with the increasing tourist activities and improvement in infrastructure in Tawang. It was thinking of less presence of Indian troops at Yangtze post
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