मॉब लिंचिंग में नहीं गई थी तबरेज के पिता की जान, चाचा ने बताई असल वजह
नई दिल्ली। झारखंड में मॉब लिंचिंग में जान गंवाने वाले तरबेज के पिता मस्कूर अंसारी की हत्या को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई थी कि उनकी जान भी 15 साल पहले भीड़ ने ली थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मस्कूर अंसारी को 15 साल पहले भीड़ ने कथित तौर पर चोरी करते हुए पकड़ा था। तबरेज अंसारी के पिता की हत्या से जुड़ी रिपोर्ट्स पर अब मरसूद आलम का बड़ा बयान आया है, मरसूद आलम तबरेज के चाचा हैं।
मरसूद आलम ने किया दावों को खारिज
मरसूद आलम ने कहा, 'तबरेज के पिता की हत्या उनके दोस्तों के साथ विवाद के बाद हुई थी। हमें एक हफ्ते बाद उनका शव मिला था।' मरसूद आलम ने उन खबरों का खंडन किया जिनमें ये दावा किया जा रहा है कि 15 साल पहले तबरेज के पिता की जान भी भीड़ ने ली थी। बता दें कि कुछ रिपोर्ट्स में ये दावा किया जा रहा है कि तबरेज अंसारी के पिता मस्कूर अंसारी भी भीड़ की हिंसा का शिकार हो गए थे।
तबरेज के पिता की हत्या दोस्तों के साथ विवाद के बाद हुई- मरसूद आलम
इस दावे के मुताबिक, तरबेज के पिता मस्कूर को जमशेदपुर के बागबेड़ा इलाके में भीड़ ने चोरी करते हुए पकड़ा था। कांग्रेस जिला इकाई के महासचिव मोहसिन खान ने एक अखबार को बताया था कि वे मस्कूर अंसारी का शव लेने के लिए जमशेदपुर गए थे। उनका कहना था कि आखिरकार वो यहां से था। करीब 70 साल के दो बुर्जुगों ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि खान ने जो कहा वो सही था। उन्होंने जांच एजेंसियों से पूछताछ की वजह से अपने नाम जाहिर नहीं किया।
मॉब लिंचिंग ने ली थी तबरेज की जान
बता दें कि झारखंड के खरसावां में 18 जून को तरबेज को चोरी के शक में पकड़ने के बाद भीड़ ने पीट-पीट कर उसकी हत्या कर दी। 24 साल के तबरेज को भीड़ ने पोल से बांध कर बुरी तरह पीटा। पुलिस को सौंपे जाने से पहले करीब 18 घंटे तक लोग लाठी-डंडे से उसे पीटते रहे। इस दौरान तबरेज को ग्रामीणों ने 'जय श्री राम' और 'जय हनुमान' के नारे लगाने को कहा और ऐसा न करने पर उसकी जमकर पिटाई की। पुलिस घटनास्थल पर 18 घंटे बाद पहुंची थी।