टी-20 विश्व कप: 'बाबर की सेना' से आख़िर क्यों हार गई भारत की 'विराट आर्मी'
आकड़ों में विराट कोहली की टीम बहुत मज़बूत थी, लेकिन जब दोनों टीमें भिड़ीं तो मैदान पर पाकिस्तान का पलड़ा हर मोर्चे पर भारी नज़र आया. कहां-कहां चूक गए विराट के शेर और क्या-क्या हुई ग़लतियां.
विराट कोहली की अगुआई वाली टीम इंडिया पर कोई भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीत पाने का टैग लगा ही हुआ है, अब वह विश्व कप मुक़ाबलों में पाकिस्तान से हारने वाली पहली भारतीय टीम भी बन गई है.
यह सही है कि इस अभियान में एक हार से सबकुछ ख़त्म नहीं हो गया है, लेकिन यह हार उस परंपरागत प्रतिद्वंद्वी से मिली जो कि मनोबल गिराने वाली साबित हो सकती है. पर हार के दौरान भारतीय टीम के प्रदर्शन से लेकर रणनीतियों और टीम चयन में भी कई ख़ामियां नज़र आईं.
सबसे प्रमुख बात तो यह है कि हमारी टीम के खेलने के अंदाज़ से लगा ही नहीं कि इस मुक़ाबले में उसने पहले बल्लेबाज़ी करने की रणनीति बनाई है. वह शायद बाद में बल्लेबाज़ी करने की योजना बनाकर ही आए थे.
अगर इस संबंध में कोई लक्ष्य देने की रणनीति बनाई होती तो शायद उसके हिसाब से भारतीय बल्लेबाज़ खेलते दिखते. पर ऐसा कभी दिखा ही नहीं बल्कि भारतीय टीम शुरुआत में लगे तीन झटकों से उबरने के प्रयासों में ही लगी रही और जीत के लिए बड़ा लक्ष्य देने के इरादे में कभी नहीं दिखी.
हार्दिक रहे टीम की कमज़ोर कड़ी
हम सभी जानते हैं कि हार्दिक पांड्या चोटिल होने के बाद से गेंदबाज़ी नहीं कर रहे हैं. उनके गेंदबाज़ी नहीं करने से टीम का संतुलन नहीं बन सका. अब सवाल यह है कि हार्दिक इस विश्व कप से ठीक पहले हुए आईपीएल में भी अपनी टीम मुंबई इंडियंस के लिए कोई कमाल नहीं कर सके थे. इस स्थिति में उनकी पूर्व छवि के हिसाब से भरोसा करना भारी पड़ गया.
एक बात यह भी है कि वह अगर सिर्फ़ बल्लेबाज़ी के दम पर खेल रहे थे तो उन्हें ऋषभ पंत से पहले बल्लेबाज़ी के लिए उतारना चाहिए था, ऐसा भी नहीं किया गया. वह विराट और पंत के टीम को पटरी पर लाने के प्रयासों को आगे बढ़ाने में एकदम से असफल रहे.
हार्दिक के गेंदबाज़ी नहीं करने से भारत पांच गेंदबाज़ों के साथ उतरने पर मजबूर हुआ. इस कारण गेंदबाज़ी में धार की कमी हो गई.
भारत के पास किसी गेंदबाज़ के पिटने पर अपने छठे गेंदबाज़ को लगाने का विकल्प ही नहीं था. बेहतर होता कि हार्दिक की जगह यदि शार्दुल ठाकुर को खिलाया जाता तो कहीं बेहतर परिणाम की उम्मीद जा सकती थी. वह विकेट निकालने वाले गेंदबाज़ होने के साथ-साथ आक्रामक अंदाज़ में बल्लेबाज़ी भी कर लेते हैं.
इसका प्रदर्शन वह पिछले दिनों इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सिरीज़ में कर चुके हैं. यह सच है कि हार्दिक की जगह शार्दुल के होने से टीम कहीं ज़्यादा संतुलित हो सकती थी.
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अश्विन की अनदेखी पड़ी भारी
हम सभी जानते हैं कि रविचंद्रन अश्विन देश के नंबर एक स्पिनर हैं. इस कारण से ही उन्हें कई सालों बाद इस प्रारूप में चुना गया है. वैसे भी पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेलते समय खिलाड़ियों के मन में थोड़ा बहुत तनाव होना स्वाभाविक है क्योंकि दोनों देशों के संबंधों में प्रगाढ़ता नहीं होने से कोई भी खिलाड़ी ख़राब प्रदर्शन नहीं करना चाहता है. उसके मन पर हारने का ख़ौफ़ छाया रहता है.
अश्विन ने वॉर्म अप मैच में जिस तरह की गेंदबाज़ी की थी, उसे देखते हुए तो उनका खेलना बनता ही था पर भारतीय टीम प्रबंधन पहले से ही अपने रहस्यमयी स्पिनर वरुण चक्रवर्ती का फ़ायदा उठाने का मन बनाए हुए था. वरुण इस महत्वपूर्ण मुक़ाबले में धड़कनों पर काबू रखने में कामयाब नहीं हुए और चार ओवरों में बिना विकेट लिए 33 रन दे बैठे.
अश्विन को नहीं खिलाना कहीं न कहीं रणनीतिक भूल ही थी. इसके अलावा टीम चयन के समय देश के सफलतम स्पिनर युजवेंद्र चहल का चयन नहीं करना भी बड़ी भूल साबित हुई है.
हम सभी जानते हैं कि चहल में ज़रूरत के समय विकेट निकालकर देने की क्षमता है. यही नहीं वह आईपीएल में भी अच्छी गेंदबाज़ी कर रहे थे. इससे लगा था कि बीसीसीआई के पास अंतिम टीम देने के लिए 15 अक्टूबर तक का समय था, तो शायद चहल का नाम शामिल कर लिया जाएगा पर ऐसा ना करके टीम के आक्रमण की धार कमज़ोर ही रह गई.
जहां तक चयन की बात है तो टीम में एक बाएं हाथ के पेस गेंदबाज़ की कमी भी अखरी. पाकिस्तान इस मामले में भारत से आगे रहा और वह शुरुआत में ही टीम को झटके देकर लड़खड़ा देने में सफल हो गया.
भुवी का लय में नहीं होना
भुवनेश्वर कुमार को शुरुआती ओवरों में विकेट निकालने वाला गेंदबाज़ माना जाता है. इसके अलावा वह डेथ ओसर्व में भी बल्लेबाज़ों को बांधने की क्षमता रखते हैं. लेकिन लंबे समय तक चोट की समस्या से जूझने के बाद लौटने पर वह पहले वाली रंगत में कभी खेलते नहीं दिखे हैं. इस कारण वह इस बार आईपीएल में भी अपनी गेंदबाज़ी का प्रभाव नहीं छोड़ सके.
इससे भारतीय टीम विराट और पंत के प्रयासों से लड़ने लायक स्कोर बनाने के बाद भी पाकिस्तान पर शुरुआत से ही दबाव बनाने में कामयाब नहीं हो सकी. बुमराह हों या मोहम्मद शमी दोनों ही रिज़वान और बाबर आज़म पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ सके.
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तैयारियों में दिखी कमी
भारतीय टीम के ज़्यादातर खिलाड़ी टी-20 विश्व कप शुरू होने से ठीक पहले तक आईपीएल खेलने में व्यस्त थे जबकि ज़्यादातर टीमें लंबे समय से तैयारियां करने में जुटी थीं.
पाकिस्तान टीम के अटैक को देखकर साफ़ लग रहा था कि वह भारतीय ओपनर्स रोहित शर्मा और केएल राहुल के ख़िलाफ़ स्पष्ट रणनीति के साथ आई है, लेकिन भारतीय गेंदबाज़ों में इस तरह की किसी रणनीति की कमी साफ़ दिखी.
लेकिन, एक हार से यह नहीं माना जा सकता कि भारत के गेंदबाज़ी आक्रमण में धार ही नहीं है. मुझे लगता है कि यह झटका टीम को आगे अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए ज़रूर प्रेरित करेगा.
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