आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को दी 4 साल जेल की सजा
जयललिता पर 1991 से 1996 के बीच सीएम रहने के दौरान आय से ज्यादा 66 करोड़ की प्रॉपर्टी इकट्ठा करने का आरोप था। उन पर शशिकला के साथ मिलकर 32 ऐसी फर्जी कंपनियां बनाने का आरोप था जिनका कोई बिजनेस नहीं था।
जस्टिस पीसी घोष और अमिताव रॉय की बेंच ने 21 साल पुराने इस केस में सुबह करीब 10.30 बजे फैसला सुनाया। जयललिता की मौत के बाद शशिकला AIADMK की महासचिव बनाई गईं थीं। अब वह राज्य के मुख्यमंत्री पद पर भी दावा कर रही थीं लेकिन सजा होने के बाद अब उनका यह ख्वाब भी अधूरा रह गया। उन्हें 10 साल तक सक्रिय राजनीति से पूरी तरह दूर रहना पड़ेगा। READ ALSO:तमिलनाडु में सियासी संकट के बीच शशिकला ने किया जयललिता के आखिरी शब्दों का खुलासा
यह
है
पूरा
मामला
जयललिता
पर
1991
से
1996
के
बीच
सीएम
रहने
के
दौरान
आय
से
ज्यादा
66
करोड़
की
प्रॉपर्टी
इकट्ठा
करने
का
आरोप
था।
उन
पर
शशिकला
के
साथ
मिलकर
32
ऐसी
फर्जी
कंपनियां
बनाने
का
आरोप
था
जिनका
कोई
बिजनेस
ही
नहीं
था।
1996
में
तत्कालीन
जनता
पार्टी
के
नेता
सुब्रमण्यम
स्वामी
ने
मुकदमा
दायर
कर
आरोप
लगाया
था
कि
जयललिता
ने
1991
से
1996
तक
सीएम
पद
पर
रहते
हुए
66
करोड़
रुपए
की
प्रॉपर्टी
इकट्ठा
की
थी।
तब
से
ये
मामला
चल
रहा
है।
बेंगलुरु
की
अदालत
चारों
को
इस
मामले
में
दोषी
ठहराते
हुए
100
करोड़
रुपये
जुर्माना
और
4-4
साल
जेल
की
सजा
सुनाई
थी।
हालांकि
कर्नाटक
हाईकोर्ट
ने
उन्हें
बरी
कर
दिया
था।
वकील
ने
कहा
ऐतिहासिक
फैसला
फैसले
के
बाद
अभियोजन
पक्ष
के
वकील
ने
कहा,
'भ्रष्टाचार
मुक्त
भारत
के
लिए
यह
बेहतरीन
फैसला
है।
आज
का
दिन
याद
रखा
जाएगा।
जयललिता
और
शशिकला
समेत
चार
आरोपियों
को
दोषी
ठहराया
गया
है।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
फैसले
से
साफ
किया
है
भ्रष्टाचार
किसी
भी
हालत
में
बर्दाश्त
नहीं
किया
जाएगा।
यह
ऐतिहासिक
फैसला
है।'