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आत्महत्या मामले में SC ने कहा- अर्नब को जमानत ना देना बॉम्बे हाईकोर्ट की गलती

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नई दिल्ली: हाल ही में मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर अर्नब गोस्वमी को आत्महत्या से जुड़े एक केस में गिरफ्तार किया था। इसके बाद अर्नब बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज हो गई। फिर बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी। इस मामले में शुक्रवार को फिर से सुनवाई हुई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब को जमानत देनी की वजहों को विस्तार से बताया। साथ ही हाईकोर्ट के जमानत नहीं देने के फैसले को गलती कहा।

Bombay High Court

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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब एफआईआर का ध्यान से मूल्यांकन किया गया, तो अर्नब के खिलाफ कोई अभियोग स्थापित होता नजर नहीं आया। हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान आरोपों की प्रकृति और उसके स्तर पर ध्यान नहीं दिया। साथ ही जमानत याचिका खारिज कर दी, जो उसकी एक गलती थी। जस्टिस चंद्रचूड़ के मुताबिक किसी भी मामले में ये देखने की जरूरत होती है कि क्या आरोपी भाग सकता है या वो सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है। ये मामला एक नागरिक की स्वतंत्रता को लेकर था और बॉम्बे हाईकोर्ट एक नागरिक की स्वतंत्रता की रक्षा करने में नाकाम रहा।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भी अर्नब गोस्वामी को छोटी सी राहत दी। कोर्ट ने कहा कि अर्नब तब तक जमानत पर रहेंगे, जब तक बॉम्बे हाईकोर्ट एफआईआर रद्द करने वाली याचिका में फैसला नहीं सुना देता है। वहीं अगर हाईकोर्ट से फैसला आ भी जाता है तो अर्नब की जमानत उसके बाद भी 4 हफ्ते तक लागू रहेगी, ताकी अगर हाईकोर्ट उनकी दलीलों पर विचार ना करे तो वो सुप्रीम कोर्ट में याचिका लेकर आ सकें।

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आपको बता दें कि महाराष्ट्र के इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक ने आत्महत्या कर ली थी। उनके पास से एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें अर्नब गोस्वामी का नाम था। आरोप है कि अर्नब ने रिपब्लिक टीवी के स्टूडियो का काम अन्वय से करवा लिया था। साथ ही उनकी लाखों की पेमेंट नहीं की थी। जिस वजह से वो आत्महत्या करने पर मजबूर हो गए। ये मामला तो पुराना है जिसे पिछली फडणवीस सरकार ने बंद कर दिया था। अब उद्धव सरकार ने इस मामले को फिर से खोला है, जिस वजह से अर्नब की गिरफ्तारी हुई थी।

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English summary
Supreme Court said - reject Arnab Goswami bail is Bombay High Court mistake
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