एडल्ट्री कानून की वैधता पर कल फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली। एडल्ट्री कानून पर सुप्रीम कोर्ट कल (गुरुवार) अपना फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री को परिभाषित करने वाली आईपीसी की धारा 497 की वैधता खारिज करने को लेकर दायर की गई याचिका पर अगस्त में सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार को चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बैंच इस मामले पर फैसला सुनाएगी।
एडल्ट्री कानून के तहत किसी विवाहित महिला से उसके पति की मर्जी के बिना संबंध बनाने वाले पुरुष को पांच साल की सजा हो सकती है। एडल्ट्री की परिभाषा तय करने वाली आईपीसी की धारा 497 में पुरुषों के लिए सजा का प्रावधान है। इस कानून को खत्न किए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
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सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से कानून को बनाए रखने के पक्ष में दलील दी गई थी। केंद्र ने संविधान पीठ से कहा कि व्यभिचार अपराध है क्योंकि इससे विवाह और परिवार बर्बाद होते हैं और ये कानून विवाह की शुचिता को बचाएगा। अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि विवाह की एक संस्था के रूप में पवित्रता को ध्यान में रखते हुये ही व्याभिचार को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
वहीं केंद्र की दलील पर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र से पूछा कि इस कानून से कैसे विवाह की शुचिता बचेगी। कोर्ट ने कहा कि विवाह का मतलब सेक्स के लिए हमेशा संस्तुति नहीं होती और ना ही राज्य पत्नी को पति के साथ रहने के लिए मजबूर कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि बहुत सारे मामलों में व्यभिचार टूटे हुए वैवाहिक संबंधों का नतीजा हो सकता है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल फैसला देगा।
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