राजद्रोह कानून खत्म ना किया जाए, इस्तेमाल के लिए हो गाइडलाइन: सुप्रीम कोर्ट में केंद्र
राजद्रोह कानून को खत्म ना किया जाए, इस्तेमाल के लिए बने एक गाइडलाइन: सुप्रीम कोर्ट में केंद्
नई दिल्ली, 5 मई: देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि देशद्रोह कानून को खत्म नहीं जाना चाहिए लेकिन इस पर स्पष्ट दिशा-निर्देशों की जरूरत है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि किस अपराध को राजद्रोह के तहत लाया जाए और किसे नहीं, यह देखने की जरूरत है।
देशद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाएं एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, अरूण शौरी, महुआ मोइत्रा और कुछ अन्य लोगों की ओर से दाखिल की गई हैं। जिस पर सीजेआई एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र से इस पर जवाब दाखिल करने को कहा था लेकिन केंद्र सरकार ने इसके लिए और समय मांगा। केंद्र की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई तक का समय दिया है। 10 मई को इस मामले पर फिर से सुनवाई होगी।
अटॉर्नी जनरल ने नवनीत राणा का दिया उदाहरण
बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार का जवाब तकरीबन तैयार है। दो- तीन दिन में हलफनामा दाखिल कर दिया जाएगा। इस दौरान अटॉर्नी जनरल ने महाराष्ट्र में सांसद नवनीत राणा की गिरफ्तारी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने हनुमान चालीसा पढ़ने पर देशद्रोह का केस लगा दिया गया, कल ही जमानत हुई है। इसलिए देशद्रोह के कानून पर स्पष्ट गाइडलाइन बनाने की जरूरत है लेकिन पूरी तरह कानून को खत्म कर देना सही नहीं होगा।
सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि क्या हम इस मामले को बड़ी बेंच को भेजे बिना सुनवाई कर सकते हैं? इस पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हां रोजाना पत्रकारों व अन्य को देशद्रोह के मामलों में गिरफ्तार किया जा रहा है। ये अंग्रेजों के जमाने का कानून है।
स्टडी में दावा- हवा में फैले कोरोना वायरस के कणों से भी फैलता है संक्रमण