'मौत की सजा' पर सुप्रीम कोर्ट बनाएगी गाइडलाइंस, 5 जजों की पीठ के पास भेजा मामला
नई दिल्ली, 19 सितंबर: मृत्युदंड यानी मौत की सजा पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गाइडलाइन तैयार करने पर स्वत: संज्ञान लेने वाली याचिका को पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है। कोर्ट ने कहा कि किन परिस्थितियों में और कब मृत्युदंड को कम करने पर विचार किया जा सकता है। अब इस मामले पर 5 जजों की बेंच फैसला करेगी।
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जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने मृत्युदंड की प्रक्रिया की जांच के लिए गाइडलाइंस निर्धारित करने का फैसला लिया। मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि उसकी राय है कि इस मामले में स्पष्टता और समान दृष्टिकोण रखने के लिए एक बड़ी पीठ द्वारा सुनवाई की जरूरत है, जब एक आरोपी को अधिकतम सजा के रूप में मौत की सजा का सामना करने की स्थिति को कम करने वाली परिस्थितियों के संबंध में सुना जाना आवश्यक है।
प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने 17 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। जस्टिस एस रवींद्र भट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि इस संबंध में आदेश के लिए मामले को सीजेआई के समक्ष रखा जाए। उन्होंने कहा था कि मौत की सजा अपरिवर्तनीय है और आरोपी को सजा कम कराने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए, ताकि अदालत यह निष्कर्ष निकाल सके कि मृत्युदंड की जरूरत नहीं है।
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सुप्रीम ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था और कहा था कि यह सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है कि उन अपराधों के लिए सजा कम करने वाली परिस्थितियों पर सुनवाई के स्तर पर ही विचार किया जाना चाहिए, जिनमें मौत की सजा का प्रावधान है।