दूध बेचने से लेकर बंधन बैंक खड़ा करने तक, पढ़िए चंद्र शेखर घोष की सफलता की कहानी
नई दिल्ली। वो गरीबी ही था जिसने चंद्र शेखर घोष का अमीर बनाया। बंधन बैंक के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर, चंद्र शेखर घोष को गरीबी ने न सिर्फ जिंदगी की कई महत्वपूर्ण बारिकियां सिखाई बल्कि एक ऐसा बिजनेस आइडिया दिया जिसने उनके साथ लाखों लोगों की जिंदगी बदल दी। ये आइडिया था माइक्रोफाइनेंस बैंक बंधन बनाने का।
कभी दूध बेच खर्चा चलाते थे चंद्र शेखर घोष
त्रिपुरा के एक गांव में जन्मे चंद्र शेखर घोष काफी गरीब थे। उन्हें अपना खर्चा चलाने के लिए दूध बेचने का व्यवसाय करना पड़ा लेकिन इस गरीबी के बाद भी चंद्र शेखर घोष ने पढ़ाई नहीं छोड़ी। उन्होंने 1978 में बांग्लादेश की ढाका विश्वविद्यालय से सांख्यिकी की जिसके बाद उन्हें एक ऐसे संगठन में काम करने को मौका मिला जो बांग्लादेश में महिला सशक्तिकरण के लिए काम करती थी।
ऐसे आया बंधन बैंक का आइडिया
इस संगठन का नाम BRAC था। इसी संगठन के दौरान काम करने के दौरान चंद्र शेखर घोष को एहसास हुआ कि गांवों में रहने वाली महिलाओं को अगर थोड़ी सी वित्तीय सहायता मिल जाए तो न सिर्फ उनका जीवन स्तर जाएगा बल्कि वे कुछ छोटे उद्योगों के साथ देश के विकास में भी भूमिका निभा सकते हैं। यहीं पर चंद्र शेखर घोष के दिमाग के मन में बंधन बैंक का ख्याल आया।
बंधन बैंक के आईपीओ ने मचाई धूम
इसी विचार के साथ चंद्र शेखर घोष ने 2001 में पश्चिम बंगाल से बंधन माइक्रोफाइसेंस बैंक की शुरूआत की। इस बैंक के जरिए गरीब महिलाओं को अधिकतम 2 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता था। देखते ही देखते बंधन बैंक ने आज लाखों महिलाओं की जीवन में बदलाव दे दिया। बंधन बैंक की इस सफलता को देखते हुए आरबीआई ने 2014 में उसे बैंकिंग लाइसेंस दे दिया। आज बंधन बैंक की देशभर में 887 शाखाएं खुल चुकी है। हाल ही बंधन बैंक ने अपना आईपीओ लॉन्च किया जिसने शेयर बाजार में धूम मचा दी। 375 रुपये के इशू प्राइस पर जारी हुआ बंधन बैंक का शेयर 33 फीसदी के प्रीमियम के साथ 499 रुपये पर लिस्ट हुआ।