एक नहीं अब दो मास्क से लड़नी होगी कोरोना से जंग, स्टडी में सामने आया डबल प्रोटेक्शन का फायदा
नई दिल्ली, अप्रैल 17: देश में कोरोना की दूसरी लहर किसी भी तरह काबू में नहीं आ रही है और लोगों के संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में बचाव का एक मात्र तरीका मास्क बताय़ा जा रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना हेल्थ केयर के एक नए अध्ययन से पता चलता है कि दो चेहरे को दो मास्क से कवर करने से कोरोना को रोकने की प्रभावशीलता लगभग दोगुनी हो जाती है। दोहरा मास्क कोरोना के वायरस को नाक और मुंह में जाने से रोकने में अधिक प्रभावशाली है।
मास्क की फिटिंग भी निभाती है अहम भूमिका
जेएएमए इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित रिपोर्ट्स के मुताबिक, अच्छे मास्क पहचान कई लेयर नहीं बल्कि मास्क की फिटिंग मानी जा रही है। जो नाक और मुंह में कोरोना वायरस को जाने से रोकते हैं। यूएनसी स्कूल ऑफ मेडिसिन में संक्रामक रोगों के एसोसिएट प्रोफेसर और लीड अध्ययन के लेखक एमिली सिकबर्ट-बेनेट ने कहा कि, चिकित्सा में उपयोग किए जाने वाले मास्क की सामग्री अच्छी निस्पंदन क्षमता के आधार पर डिज़ाइन की जाती है, लेकिन जिस तरह से वे हमारे चेहरे पर फिट होते हैं, वह सही नहीं है।
दो मास्क कोरोना के खिलाफ अधिक प्रभावी
कई संस्थाओं द्वारा लोगों के बीच प्रचलित मास्क की रेंजों पर परीक्षण किया गया। इस टेस्ट में मास्क की फिल्टर क्षमताओं का परीक्षण किया गया। टेस्टिंग के दौरान पता चला कि, प्रत्येक व्यक्ति के यूनिक फेस और मास्क फिटिंग के चलते मास्क की फिटिंग फिल्टरेशन एफिशिएंसी(एफएफई) अलग अलग मनुष्यों में भिन्न भिन्न होती है। लेकिन आम तौर पर, फिट में बदलाव किए बिना लगाए गए मास्क लोगों को लगभग 40-60 प्रतिशत प्रभावी तक कोरोना से बचाने में सक्षम होते हैं।
कपड़े का मास्क लगभग 40 प्रतिशत प्रभावी होता है
कपड़े का मास्क लगभग 40 प्रतिशत प्रभावी होता है। हाल में मास्क के डबल उपयोग के बारे में अध्ययन किया गया तो पता चला कि, क्लॉथ मास्क को सर्जिकल मास्क के ऊपर पहनने पर फिटिंग फिल्टरेशन एफिशिएंसी में 20 फीसदी तक सुधार आता है। जब अच्छी तरह से फिट कपड़े के मास्क का इस्तेमाल सर्जिकल मास्क पर किया जाता है तो ज्यादा प्रतिशत तक ट्रांसमिशन की दर को रोकने में सफलता मिलती है