ओलिगार्कः पुतिन के अरबपति दोस्त जिनका रूसी सियासत में चलता है सिक्का
यूक्रेन संकट के बाद एक बार फिर रूसी ओलिगार्क चर्चा में हैं. पश्चिमी देशों ने अपने प्रतिबंधों में उन्हें भी निशाना बनाया है. कौन हैं ये ओलिगार्क?
रूस, यूक्रेन और पश्चिमी देशों के बीच का संकट बढ़ने के बाद ओलिगार्क (Oligarch) की फिर से चर्चा हो रही है जो रूस के बेहद रईस और रसूख़दार लोग हैं.
पश्चिमी देशों की मीडिया में अक्सर ऐसे लोगों को पुतिन के 'क्रोनीज़' यानी जिगरी दोस्त, कहा जाता रहा है. यूक्रेन पर हमले के बाद पश्चिमी देशों की लगाई पाबंदियों का एक निशाना ये ओलिगार्क भी हैं.
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ओलिगार्क - कौन हैं ये?
ओलिगार्क शब्द का इतिहास बहुत लंबा है. हालांकि आज के वक़्त में इसका एक ख़ास मतलब हो गया है.
पारंपरिक परिभाषा या मान्यता के अनुसार ओलिगार्क वो लोग हैं जो कुलीन तंत्र के सदस्य या समर्थक होते हैं. यानी एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था का हिस्सा होते हैं
अब इस शब्द का ज़्यादातर इस्तेमाल रूस के बहुत बड़े धनी लोगों के एक समूह के लिए होता है. 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद वहां ओलिगार्क तेज़ी से उभरकर सामने आए.
ओलिगार्क शब्द ग्रीक शब्द ओलिगोई (Oligoi) से निकला है, जिसका अर्थ 'कुछ' होता है. वहीं आर्क़िन (Arkhein) शब्द का अर्थ 'शासन करना' होता है.
ओलिगार्की इस तरह राजशाही (किसी एक व्यक्ति का शासन यानी मोनोस) या लोकतंत्र (लोगों का शासन या डेमोस) से अलग होती है.
ऐसे में एक ओलिगार्क का धर्म, रिश्तेदार, सम्मान, आर्थिक दर्जा और भाषा जो भी हो, वो उसी धर्म, भाषा-भाषी समूह के बाक़ी लोगों से अलग होते हैं. और वो शासन करने वाले गुट का हिस्सा होते हैं.
ऐसे लोग अपने हितों को ध्यान में रखते हुए शासन करते हैं और इनके साधन अक्सर संदेह के दायरे में होते हैं.
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बड़े ओलिगार्क
आजकल किसी ओलिगार्क का अर्थ अक्सर बहुत अमीर शख़्स के रूप में लिया जाता है. ऐसे इंसान ने शासन के सहयोग से कारोबार करके अकूत दौलत बनाई होती है.
दुनिया में रूस के सबसे मशहूर ओलिगार्क में से एक ब्रिटेन के रोमन अब्रामोविच हैं, जो चेल्सी फुटबॉल क्लब के मालिक है. अनुमान है कि उनके पास इस समय 14.3 अरब डॉलर की संपत्ति है.
उन्होंने सोवियत संघ के पतन के बाद रूस की जिन सरकारी संपत्तियों को खरीदा था, उसे बेच दौलत बनाई है.
वहीं ब्रिटेन के और ओलिगार्क एलेक्जेंडर लेबेदेव हैं, जो केजीबी के पूर्व अधिकारी और बैंकर हैं. उनके बेटे एवगेनी लेबेदेव लंदन से निकलने वाले बड़े अख़बार - इवनिंग स्टैंडर्ड -के मालिक हैं. एवगेनी ब्रिटेन के नागरिक हैं और उन्हें हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स का सदस्य भी बनाया गया है.
ऐसा नहीं है कि ये ओलिगार्क केवल रूस में ही हैं. दुनिया के दूसरे देशों में भी कुलीन वर्ग मौजूद हैं.
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'यूक्रेन की बदहाली के ज़िम्मेदार हैं ये ओलिगार्क'
कीएव की एक स्वतंत्र संस्था 'यूक्रेनियन इंस्टीट्यूट फ़ॉर द फ़्यूचर' (यूआईएफ़) का मानना है कि वहां की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था, समाज, उद्योग और राजनीति के ज़िम्मेदार ओलिगार्क ही हैं.
अपनी एक रिपोर्ट में यूआईएफ ने कहा कि सोवियत संघ के पतन के बाद लियोनिद कुचमा के राष्ट्रपति रहने के दौरान देश के 'पुराने ओलिगार्क' काफ़ी फले-फूले.
उसका कहना है, "यूक्रेन के ओलिगार्क ने अपनी अधिकांश संपत्ति अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके और ग़ैर-पारदर्शी निजीकरण के ज़रिए कमाई. और तभी से अपने कारोबार को बचाने के लिए राजनीति पर नियंत्रण रखना, उनके लिए काफ़ी अहम बना हुआ है.''
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ओलिगार्क ने कैसे बनाई अपनी दौलत?
इस बारे में यूक्रेन की संस्था यूआईएफ़ के कार्यकारी निदेशक विक्टर एंड्रुसिव ने वॉशिंगटन में एक कार्यक्रम के दौरान 2019 में कहा कि ओलिगार्क 'ख़ास वर्ग' के लोग हैं, जो 'ख़ास तरीक़े से कारोबार' करते हैं. उनके पास 'जीने और लोगों को प्रभावित करने का ख़ास तरीक़ा' भी होता है.
एंड्रूसिव ने कहा, "वास्तव में वे कारोबारी नहीं हैं. वे अमीर बने हैं, पर जिस तरह से वे अमीर बने, वो किसी पूंजीवादी देश की तरह का मामला नहीं होता. उन्होंने कारोबार नहीं खड़ा किया, बल्कि देश के सहारे कारोबार पर क़ब्ज़ा कर लिया."
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रूस में इतने ओलिगार्क कैसे?
आज लोग रूस के ओलिगार्क के बारे में इसलिए बात कर रहे हैं, क्योंकि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद जो कुछ हुआ, वो इनके लिए अहम था.
1991 में क्रिसमस के दिन राष्ट्रपति मिख़ाइल गोर्बाचेव ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति से इस्तीफ़ा देकर बोरिस येल्तसिन को सत्ता सौंप दी.
हालांकि जब वहां कम्युनिस्ट शासन था, तब कोई निजी संपत्ति नहीं होती थी. लेकिन उसके बाद रूस की पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के दौरान देश में बड़े पैमाने पर निजीकरण हुआ. ख़ासकर औद्योगिक, ऊर्जा और वित्तीय क्षेत्रों में.
इसका नतीज़ा ये हुआ कि 90 के दशक के शुरू में हुए निजीकरण के दौरान बहुत से लोग यूं ही अमीर बन गए.
यदि उनके अच्छे संपर्क होते थे, तो अपने संपर्कों के दम पर वे रूसी उद्योग के बड़े हिस्से का अधिग्रहण कर सकते थे. ऐसे लोग अक्सर कच्चे मालों की आपूर्ति वाले, खनिज या गैस और तेल उद्योग में सक्रिय थे, क्योंकि इन चीज़ों की दुनिया भर में मांग थी.
उसके बाद इस काम में मदद करने वाले अधिकारियों को उन्होंने पुरस्कृत किया और उन्हें डायरेक्टर जैसे पद से नवाज़ा.
ओलिगार्क के पास मीडिया, तेल कुएं, इस्पात के कारखाने, इंजीनियरी कंपनियां आदि हो गईं. अक्सर वे अपने कारोबार के लिए बहुत कम कर का ही भुगतान करते थे.
ऐसे ही लोगों ने बोरिस येल्तसिन को अपना समर्थन दिया और 1996 के उनके राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्हें पैसे से मदद दी.
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पुतिन के दौर में ओलिगार्क
व्लादिमीर पुतिन जब बोरिस येल्तसिन के उत्तराधिकारी बने, तो उन्होंने ओलिगार्कों पर लगाम लगाना शुरू कर दिया. हालांकि, जो ओलिगार्क उनके साथ जुड़े रहे वे और कामयाब होते गए.
बैंकर बोरिस बेरेज़ोव्स्की जैसे पहले के कुछ कुलीन लोगों ने उनके साथ आने से इनकार कर दिया, तो उन्हें देश छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा.
कभी रूस के सबसे अमीर शख़्स माने जाने वाले मिख़ाइल ख़ोदोरकोव्स्की भी अब लंदन में रहते हैं.
इस बारे में पूछे जाने पर व्लादिमीर पुतिन ने 2019 में फ़ाइनेंशियल टाइम्स से कहा था, "अब हमारे यहां कोई ओलिगार्क नहीं है."
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हालांकि जिन लोगों के पुतिन के साथ क़रीबी संबंध थे, वे उनके शासन में अपना व्यापारिक साम्राज्य बनाने में कामयाब रहे.
ऐसे लोगों में, बोरिस रोटेनबर्ग हैं. वे दोनों बचपन में एक ही जूडो क्लब में खेलते थे. ब्रिटेन की सरकार ने रोटेनबर्ग को पुतिन के साथ नजदीकी और निजी रिश्ते रखने वाला एक अहम कारोबारी क़रार दिया है. फ़ोर्ब्स मैगज़ीन के अनुसार, रोटेनबर्ग की संपत्ति क़रीब 1.2 अरब डॉलर है.
इसलिए जब पुतिन ने पूर्वी यूक्रेन के डोनेत्सक और लुहान्स्क के दो अलगाववादी क्षेत्रों को 'पीपल्स रिपब्लिक' का दर्जा दिया तो, बोरिस और उनके भाई अर्काडी दोनों को ब्रिटेन के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है.
ब्रिटेन के साथ यूक्रेन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने भी रूस के ओलिगार्क यानी कुलीन वर्गों पर प्रतिबंध लगाए हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद तो ये प्रतिबंध और कड़े ही होंगे.
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