अब ईरानी क्या करेंगी जब स्मृति बन गईं 220 भाषाएं
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। देश में संस्कृत बनाम जर्मन भाषाओं को पढ़ाने या ना पढ़ाने को लेकर चले विवाद के बीच पता चला कि सिक्किम की देश में एक भाषा ऐसी है जो दुनिया में सिर्फ चार लोग ही बोलते हैं। इस बात का पता तब चला जब विलुप्त हो चुकी भाषाओं पर चर्चा शुरू हुई।
पता चला कि भारत में पिछले 50 वर्षों में 220 भाषाएं विलुप्त हो गयीं। कुछ भाषाओं की दुर्दशा पर संसद में भी चिंता जतायी गयी।
विलुप्त होने के अनेक कारण
संसद में उठे मसले के मुताबिक भारत में पिछले 50 वर्षों में 220 भाषाएं विलुप्त हो गयीं। इनके विलुप्त होने के पीछे कई कारण हैं जिनमें खानाबदोश, भाषा के प्रति आदर भाव की कमी, समुदायों का इधर-उधर बिखरना और देशभर में भाषा सहेजने की नीति का अभाव शामिल है। इन भाषाओं की विरासत को पुनर्जीवित करना सरकार के लिये बड़ी चुनौती है।
520 भाषाओं की पहचान
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ऐसी 520 भाषाओं की पहचान की है जिनको दोबारा उनके स्वरूप में लाने के लिये युद्धस्तर पर काम किये जाने की जरूरत है। इनको बोलचाल में लाने के लिये चलाये जाने वाले अभियान के तहत पहले चरण में 70 भाषाओं को शामिल किया जायेगा।
विलुप्त होती भाषाओं को बचाने के लिए सरकार भारतीय भाषाओं के साहित्य को विभिन्न माध्यमों से अनुदित कर रही है।