भारत के सोनम वांगचुक और भारत वटवानी को मिला मैग्सेसे अवार्ड
नई दिल्ली। एशिया का नोबेल कहे जाने वाले रेमन मैग्सेसे पुरस्कारों की गुरुवार को घोषणा कर दी गई। इस बार दो भारतीयों को रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। इनमें पहला नाम लद्दाख के रहने वाले सोनम वांगचुक का है, दूसरा नाम डॉ. भारत वतमानी का है।
वांगचुक
को
प्रकृति,
संस्कृति
और
शिक्षा
के
जरिए
सामुदायिक
प्रगति
के
लिए
काम
करने
को
लेकर
सम्मानित
किया
गया
है।
वहीं
वटवानी
को
सड़क
पर
भीख
मांगने
वाले
हजारों
मानसिक
तौर
पर
बीमार
लोगों
को
रेस्क्यू
कर
उनके
परिवार
वालों
से
मिलाने
के
लिए
यह
पुरस्कार
दिया
गया
है।
सोनम वांगचुक ने 1988 में इंजिनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद स्टूडेंट्स एजुकेशन ऐंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) की स्थापना की। सोनम को एसईसीएमओएल परिसर को डिजाइन करने के लिए भी जाना जाता है जो पूरी तरह से सौर-ऊर्जा पर चलता है, और खाना पकाने, प्रकाश या तापन (हीटिंग) के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करता है।
डॉक्टर भारत वटवानी और उनकी पत्नी ने दिमागी तौर पर बीमार सड़कों पर रहने वालों के इलाज के लिए प्राइवेट क्लिनिक शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने सड़कों पर रह रहे मानसिक रोगियों को आश्रय देने, खाना मुहैया कराने, दिमागी इलाज कराने और परिवार से मिलवाने के मकसद से सन् 1988 में श्रद्धा रिहैबिलिटेशन फाउंडेशन की स्थापना की। अब तक वह ऐसे हजारों लोगों को नई जिंदगी दे चुके हैं।