विरोध के बाद क्या बदली जाएगी मवेशी की परिभाषा, भैंस की खरीद-बिक्री पर हटेगा प्रतिबंध
देश के अंदर पशु मंडियों में वध के लिए जानवरों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध के बाद मचे बवाल के बाद केंद्र सरकार के रुख में नरमी देखने को मिल सकती है।
नई दिल्ली। देश के अंदर पशु मंडियों में वध के लिए जानवरों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध के बाद मचे बवाल के बाद केंद्र सरकार के रुख में नरमी देखने को मिल सकती है। यह खबर सामने आ रही है कि केंद्र सरकार मामले को शांत करने के लिए कानून में मवेशी शब्द की परिभाषा को बदलने पर विचार कर रही है।
सरकार भैंस को मवेशी की परिभाषा से बाहर कर सकती है। क्योंकि पशु मंडियों में वध के लिए जानवरों की खरीद-बिक्री पर बैन से मीट और चमड़ा के निर्यात और कारोबार पर बुरा असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
पर्यावरण मंत्रालय ने 23 मई को जानवरों के खिलाफ क्रूरता रोकने के कानून के तहत सख्त नियमों वाले पशुओं के खिलाफ क्रूरता रोकथाम (पशु बाजार नियमन) कानून 2017 की अधिसूचना जारी की थी। इसके बाद से ही देशभर में जगह-जगह इस कानून का विरोध शुरू हो गया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और डीएमके नेता एम.के. स्टालिन ने केंद्र के इस कदम की तीखी आलोचना की है।
वध के लिए जानवरों के मंडियों में खरीदे या बेचे जाने पर प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को केरल हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दाखिल की गई है। केंद्र के इस फैसले के आलोचकों का कहना है कि केंद्र सरकार ने भले ही सीधे तौर पर बीफ पर बैन नहीं लगाया है पर वह नए कानून के तहत पिछले दरवाजे से बीफ पर बैन की कोशिश कर रही है।