सीताराम येचुरी बोले- नागरिकता कानून के खिलाफ SC जाएगी CPI(M)
नई दिल्ली। नागरिकता बिल के खिलाफ रविवार को जामिया विवि में हुई हिंसा का मामला अब गरमता जा रहा है। कई राजनीतिक दल इस हिंसा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। इसी बीच सीताराम येचुरी ने कहा कि सीपीएम नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रही है। यह असंवैधानिक होने के साथ साथ संविधान विरोधी भी है क्योंकि यह संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है। साथ ही यह असम समझौते का भी उल्लंघन करता है जहां कट ऑफ तारीख 24 मार्च 1971 है।
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सीताराम येचुरी ने कहा कि, सरकार पूर्वोत्तर में इंटरनेट सेवाएं तुरंत बहाल करे। हिरासत में रखे गए प्रदर्शनकारियों को बिना शर्त तुरंत रिहा करें। पुलिस गोलीबारी में मारे गए लोगों को 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। असम और अन्य राज्यों से सेना हटा ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि, नागरिकता एक्ट देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है।
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के विरोध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों के आंदोलन को दबाने के लिए की गयी पुलिस कार्रवाई लोकतंत्र में अस्वीकार्य है। येचुरी ने कहा कि, जामिया में पुलिस का प्रदर्शन बर्बरतापूर्ण था, हम इसकी आलोचना करते हैं और गृहमंत्री से कहते हैं कि वो जांच कराएं कि विश्वविद्यालय में पुलिस को बिना इजाज़त घुसने के लिए किसने कहा? हम पूरे देश में इसके विरोध में प्रदर्शन करेंगे। हम लोगों से अपील करते हैं कि वो इस दौरान शांतिपूर्ण प्रदर्शन करें।
येचुरी ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को दिल्ली पुलिस से जवाब तलब करना चाहिए कि उसने जामिया मिल्लिया में बिना पूर्व अनुमति के प्रवेश कैसे किया। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक किसी भी शिक्षण संस्थान में पुलिस उक्त संस्थान की पूर्व अनुमति के प्रवेश नहीं कर सकती है। यह कानून पूरे देश में लागू है। येचुरी ने छात्रों के विरुद्ध पुलिस कार्रवाई को बर्बर बताते हुये कहा कि विरोध के स्वर को दबाने के लिए सरकार पूरे देश में पुलिस के दमन का सहारा ले रही है। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं की आवाज को दबाया नहीं जा सकेगा, इसके खिलाफ देशव्यापी विरोध होगा।
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