शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म, जेडीयू ने की थी अनुशंसा
राज्यसभा सचिवालय के अनुसार संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा 2 (1) (a) के अनुसार दोनों नेताओं की सदस्यता रद्द की गई।
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नई दिल्ली। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने शरद यादव और अली अनवर को तगड़ा झटका दिया है।जेडीयू (जनता दल युनाइटेड) से बगावत करने वाले नेता शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा से सदस्यता समाप्त कर दी गई है। जेडीयू ने इस संबंध में राज्यसभा सचिवालय के पास शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दोनों नेताओं की सदस्यता समाप्त करने का फैसला लिया। नीतीश कुमार के एनडीए पाले में जाने और आरजेडी-कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने पर शरद यादव और अली अनवर ने बगावती तेवर अपना लिए थे। दोनों ही नेता आरजेडी और कांग्रेस से गठबंधन बनाए रखने के पक्ष में थे।
इस नियम के तहत सदस्यता रद्द की गई
राज्यसभा सचिवालय के अनुसार संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा 2 (1) (a) के अनुसार दोनों नेताओं की सदस्यता रद्द की गई। राज्यसभा में पार्टी के नेता आर सी पी सिंह जी ने इसकी पुष्टि की। शरद यादव का टर्म अभी 5 साल बाकी था जबकि अली अनवर का 6 महीने बाकी था। गौरतलब है कि बीते अगस्त में तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़ते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। गठबंधन टूटने के कुछ ही घंटों में जेडीयू को बीजेपी ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया जिसके बाद नीतीश कुमार फिर मुख्यमंत्री बन गए।
नीतीश के खिलाफ खोला था मोर्चा
जेडीयू में दो फाड़ होने के बाद शरद यादव और अली अनवर ने जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था। शरद यादव ने जेडीयू के खिलाफ जाकर पूरे बिहार में रैली और यात्रा की थी। जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव और अली अनवर के इस हरकत के बाद जेडीयू ने दोनों को पार्टी से बाहर निकाल दिया था। इसके साथ ही जेडीयू ने दोनों नेताओं की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने की भी अनुशंसा कर दी थी।
पार्टी के चुनाव चिह्न तीर पर भी दावा किया था
गौरतलब है कि पार्टी से निकाले जाने के बाद शरद यादव गुट ने पार्टी के चुनाव चिह्न तीर पर भी दावा किया था लेकिन उन्हें वहां भी हार का सामना करना पड़ा था। जेडीयू से अलग होने के बाद शरद यादव ने गुजरात चुनाव के बाद नई पार्टी बनाने का ऐलान किया था। जेडीयू नेता के.सी. त्यागी ने कहा था कि लालू की रैली में शामिल होकर उन्होंने पार्टी विरोधी गतिविधि को अंजाम दिया है और यह दलबदल कानून का सीधा उल्लंघन है। राज्यसभा की सदस्यता जाना शरद यादव के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
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