महाराष्ट्र में अब से सरपंच का चयन सीधे जनता के हाथों में
1997 के बाद जन्में व्यक्ति को अगर सरपंच के लिए चुनाव लड़ना है तो सातवीं तक शिक्षण अनिवार्य है।
मुंबई। अब से सरपंच का चयन सीधे जनता द्वारा किया जाएगा, ऐसा महत्वपूर्ण निर्णय राज्य की मंत्रीमंडल बैठक में लिया गया। साथ ही 1997 के बाद जन्में व्यक्ति को अगर सरपंच के लिए चुनाव लड़ना है तो सातवीं तक शिक्षण अनिवार्य है। इसके पहले राजस्थान और हरियाणा में राज्य सरकार ने सरपंच पदों के लिए शिक्षण की शर्त लगाई थी, ये निर्णय अभी तर सुप्रीम कोर्ट में प्रलंबित है।
ग्रामसभा के अधिकारों को बढ़ाने के लिए ये निर्णय लिया गया है, ऐसी जानकारी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों को दी। आदर्श ग्राम समिती ने इस बारे में राज्य सरकार को रिपोर्ट पेश की थी। जिसमें सरपंच का चयन सीधे जनता द्वारा किए जाने की सिफारिश की गई थी। सरपंच पद के लिए शिक्षा की शर्त गांव के विकास के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी। इस संबंध में अध्यादेश सरकार द्वारा जल्द ही निकाला जाएगा। अधिवेशन में इस पर कानून भी मंजूर किया जाएगा।
इस मुद्दे पर ग्राम विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि राज्य की दृष्टि से ये निर्णय महत्वपूर्ण साबित होगा, इससे गांवों का विकास होने में मदद मिलेगी। वरिष्ठ समाज सेवक अन्ना हजारे ने कहा कि सरपंच चुनाव के लिए लिया गया निर्णय लोकतंत्र को मजबूत करेगा। जिसकी वजह से देश में सही लोकतंत्र प्रस्थापित होगा। इसके आगे मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का चुनाव भी सीधे जनता द्वारा ही किया जाना चाहिए। जब तक जनता के हाथों में अधिकार देने का निर्णय नहीं होता तब तक सत्ता का विकेंद्रीकरण नहीं होगा।
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