नागरिकता संशोधन बिल पर संसद में क्या करेगी शिवसेना, संजय राउत ने बताया
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नई दिल्ली- जबसे शिवसेना भाजपा से अलग हुई है उसके नेता अपनी पूर्व सहयोगी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। शिवसेना नेता संजय राउत के बयानों और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के ऐक्शनों से कई बार तो ऐसा लगता है कि मौजूदा दौर में पार्टी बीजेपी की सबसे बड़ी विरोधी बन चुकी है। लेकिन, इन्हीं परिस्थितियों में केंद्र की मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन विधेयक लाने का फैसला कर लिया है। यह ऐसा मसला है, जिसपर शुरू से बीजेपी से भी ज्यादा शिवसेना आक्रामक रही है। पार्टी ने मुंबई और महाराष्ट्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों को भगाना हमेशा से अपने एजेंडे में रखा है। लेकिन, बदली हुई सियासी परिस्थितियों में क्या शिवसेना इस मुद्दे पर मोदी सरकार का साथ देगी, यह जानने की इच्छा हर किसी की होगी। ऐसे में पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने जो संकेत दिए हैं उससे लगता है कि कम से कम इस मुद्दे पर शिवसेना सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ नहीं जाएगी।
शिवसेना के लिए राष्ट्रहित हमेशा अहम- राउत
शिवसेना नेता संजय राउत ने संकेत दिए हैं कि नागरिकता संशोधन बिल पर उनकी पार्टी मोदी सरकार का समर्थन कर सकती है। उन्होंने साफ किया है कि मुंबई से बांग्लादेशी घुसपैठियों को भगाना हमेशा से उनके दल का एजेंडा रहा है। एक न्यूज चैनल पर जब उनसे इसको लेकर सीधा सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया, 'राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रहित इन दोनों मुद्दों को शिवसेना ने हमेशा महत्त्व दिया है। इस देश में अगर बाहर से लोग आते हैं, घुसपैठिए आते हैं तो सबसे बड़ा खतरा देश को होता है और हमनें हमेशा ये मांग की है....' जब उनसे कहा गया कि कुछ पार्टियां तो इसका विरोध कर रही हैं तो उन्होंने जवाब दिया कि अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग राय है। असम में भाजपा के मुख्यमंत्री ही इसका विरोध कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल और मेघालय की सरकारों की अलग राय है।
सुरक्षा के लिए खतरा हैं घुसपैठिये- शिवसेना
राउत ने ये भी दावा किया है कि बांग्लादेशी या पाकिस्तानी घुसपैठियों को निकाल-बाहर करने में सभी पार्टियां साथ है। उन्होंने कहा, '....बांग्लादेश या पाकिस्तान से घुसपैठिये यहां आए हैं, उनको निकालना ही चाहिए और मुझे लगता है यहां सभी पार्टी का एकमत हैं। कोई नहीं चाहेगा कि बाहर के लोग यहां घुसकर हमारी सिक्योरिटी पर खतरा पैदा करें।' जब उनसे कहा गया कि प्रस्ताव के मुताबिक सिर्फ मुस्लिम घुसपैठियों को बाहर किया जाएगा और बाकी धर्म के लोगों को नहीं तो उन्होंने गोल-मटोल जवाब दिया, '.....मुझे मालूम नहीं धर्म की बात यहां कहां आती है....मैं इतना ही मानता हूं....जो घुसपैठिये हैं वो देश में नहीं रहें......'जब उनसे ये साफ करने को कहा गया कि जब सरकार संसद में विधेयक लेकर आएगी तो उनकी पार्टी का क्या स्टैंड रहेगा तो उन्होंने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि सदन का सदन में देखेंगे।
प्रस्ताव में क्या है?
माना जा रहा है कि सरकार इस बिल को अगले हफ्ते संसद में पेश कर सकती है। विधेयक में पड़ोसी देशों से शरणार्थी के तौर पर आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है। लेकिन, विपक्ष इस बिल का विरोध इस नाम पर कर रहा है कि यह संविधान की भावना के विपरीत बताते है, क्योंकि नागरिकों के बीच उनकी आस्था के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। पूर्वोत्तर के राज्यों में भी इस बिल का विरोध हो रहा है। जिसपर पिछले दिनों गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि ये विधेयक एनआरसी से अलग है। सरकार के मुताबिक इस विधेयक की आवश्यकता इसलिए है, क्योंकि जिन शरणार्थियों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक भेदभाव के चलते वहां से जान बचाकर भागना पड़ता है, उन्हें अगर भारतीय नागरिकता नहीं मिलेगी तो वे कहां जाएंगे ?
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