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सबसे कम उम्र के IPS हसन, कहते हैं- जीने का मजा आएगा जब मौत की उँगलियां पकड़के भागा जाए

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भावनगर। गुजरात का नौजवान सफीन हसन... नाम तो सुना ही होगा! यह वही नाम है, जो कि देश में सबसे कम उम्र का आईपीएस ऑफिसर बनने पर चर्चा में आ गया था। भारतीय पुलिस सेवा में 2018 बैच के ऑफिसर सफीन हसन इन दिनों भावनगर में सहायक अधीक्षक के पद पर तैनात हैं। अपनी ड्यूटी को वह "सत्य सेवा" कहते हैं, और सोशल मीडिया पर बायो में संस्कृत वाक्य "आत्मदीपो भव:" लिखते हैं। हसन एक साधारण मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखते हैं..और आईपीएस ऑफिसर के तौर पर पहचान बनने के बाद से लाखों स्टूडेंट्स के लिए प्रेरणा हैं। फेसबुक, इंस्टा और यूट्यूब पर उनके पोस्ट, कोट्स, स्टोरीज और तस्वीरें न जाने कितने लोगों का "दिन अच्छा" बना देती हैं।

कणोदर के रहने वाले हैं यह यंग ऑफिसर

कणोदर के रहने वाले हैं यह यंग ऑफिसर

हसन बताते हैं कि, उनका बचपन से ही यह सपना था कि वो ऑफिसर बनेंगे। इसके लिए उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई के दिनों से ही तैयारी शुरू कर दी थी। उनका जन्म 21 जुलाई, 1995 को गुजरात के पालनपुर (कणोदर) में हुआ। वो कहते हैं कि, मेरी 10वीं तक पढ़ाई के लिए मां ने दूसरों के घरों में रोटियां बेलीं। जबकि, पिता जाड़ों में अंडे और चाय का ठेला लगाते थे। एक समय में माता-पिता हीरा श्रमिक भी रहे। हालांकि, जब उनकी नौकरी चली गई तो हसन के सफर में कई ऐसे दिन भी आए, जैसा कि किसी लावारिस बच्चे ने दुख झेला हो। कई बार उन्हें भूखे रहना पड़ा। हालांकि, फिर कुछ सज्जन लोग उनके करियर में अहम साबित हुए। कई शिक्षकों ने हसन की न सिर्फ फीस माफ कराई, बल्कि एक शख्स ने तो दिल्ली में पढ़ाई के दिनों हसन का पूरा खर्च भी वहन किया।

एग्जाम से पहले एक्सीडेंट, फिर भी नहीं रुके

एग्जाम से पहले एक्सीडेंट, फिर भी नहीं रुके

पुलिस सर्विस के लिए एग्जाम की तैयारी के बारे में बताते हुए हसन ने कहा, ''मैंने जून 2016 में तैयारी शुरू की थी। उसके बाद यूपीएससी और जीपीएससी की परीक्षा दीं। गुजरात पीएससी में भी सफलता हासिल की। कई मौके ऐसे आए, जब मुश्किलों से जूझा। मगर, यह उूपरवाले का दिया मानकर मैं लगा रहा। यहां तक कि परीक्षा से पहले एक्सीडेंट हो गया था, मैंने पेन किलर लेकर पेपर दिया। परीक्षा के बाद हॉस्पिटल में काफी समय तक भर्ती होना पड़ा।''

मां ने रेस्‍टोरेंट, ब्याह-समारोह में बेलीं रोटियां

मां ने रेस्‍टोरेंट, ब्याह-समारोह में बेलीं रोटियां

हसन ने कहा, ''जब पढ़ाई के लिए मेरे पास पैसे कम पड़ने लगे तो मां नसीम बानो ने रेस्‍टोरेंट और ब्याह-समारोह में रोटियां बनवाईं। सुबह 3 बजे उठकर वह 20 से 200 किलो तक चपाती बनाती थीं। इस तरह वो हर महीने 5 से 8 हजार रुपए कमाती थीं। इससे पहले वह पिता मुस्‍तफा के साथ हीरे की एक यूनिट में थीं, हालांकि कुछ सालों बाद माता-पिता दोनों की वो नौकरी चली गई। फिर, जैसे-तैसे घर का खर्च चलाया। हमें कई रात खाली पेट भी सोना पड़ा। ऐसी मुश्किलों से जूझते हुए मैंने साल 2017 यूपीएससी एग्जाम में 570वीं रैंक हासिल कर की और आईपीएस का सफर तय किया।''

..तब ठाना कि मुझे आईपीएस ही बनना है

..तब ठाना कि मुझे आईपीएस ही बनना है

आईपीएस बनने का ख्याल क्यों आया, इसके जवाब में हसन कहते हैं कि एक बार जब मैं अपनी मौसी के साथ एक स्‍कूल में गया था, तो वहां समारोह में पहुंचे कलेक्‍टर की आवभगत व सम्‍मान देखकर पूछा कि ये कौन हैं और लोग इनका इतना सम्‍मान क्‍यों कर रहे हैं? तब मौसी ने मुझे बताया ये आईपीएस हैं, जो जिले के मुखिया होते हैं। यह पद देशसेवा के लिए होता है। तभी से मैं आईपीएस बनने की सोचने लगा।''

सबसे कम उम्र के IPS सफीन हसन की जामनगर में लगी पहली ड्यूटी, जानिए कैसे देश सेवा की ठानीसबसे कम उम्र के IPS सफीन हसन की जामनगर में लगी पहली ड्यूटी, जानिए कैसे देश सेवा की ठानी

'अच्छे लोगों ने धन-मन से मेरी खूब मदद की'

'अच्छे लोगों ने धन-मन से मेरी खूब मदद की'

''मेरी प्राथमिक शिक्षा उत्‍तर गुजरात बनासकांठा के पालनपुर तहसील के छोटे से गांव कणोदर में पूरी हुई थी। प्राथ‍मिक शिक्षा के बाद हम इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए सूरत आए। स्कूल की पढ़ाई के बाद मैंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग (एनआईटी) में दाखिला लिया था। जब मैं हाईस्कूल में था, तो मेरे प्रिंसिपल ने मेरी 80 हजार रुपए फीस माफ कर दी। इसके अलावा, जब हम दिल्ली आए थे तो गुजरात के पोलरा परिवार ने 2 साल तक हमारा खर्च उठाया। वही, लोग मेरी कोचिंग की फीस भी देते थे। उन दिनों जब यूपीएससी के एग्जाम शुरू हुए थे, तो मेरा एक्सीडेंट हो गया था। हालांकि, जिस हाथ से मैं लिखता था वह सही-सलामत था। एग्जाम देने के बाद मुझे अस्पताल में भर्ती तक होना पड़ा था।'

..फिर मां-बाप की खुशी का ठिकाना न रहा

..फिर मां-बाप की खुशी का ठिकाना न रहा

हसन बोले, ''साल 2019 में जब मैंने मां को बताया कि, जामनगर में मुझे असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस (ASP) के रूप में नियुक्ति मिली है। मैं पोस्ट ज्वॉइन करने जा रहा हूं, तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। मैंने कहा मां क्यों रोती है...यदि हम ऐसे दिन न देखते तो यह दिन भी न आया होता। अल्लाह ने हमें आंका...हम बढ़ते चले गए और सफलता का चांद दे दिया।''

4 भाषाओं के जानकार हैं सफीन हसन

4 भाषाओं के जानकार हैं सफीन हसन

हसन ने कहा, ''मैं आज गुजराती, अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत चारों भाषाएं जानता हूं। संस्कृत बहुत प्रभावी है, जिसके शब्दों का बहुत महत्व है। मैं अक्सर संस्कृत के वाक्य बोलता हूं। गजलों का भी शौक है।''

सोशल मीडिया हैंडिल पर चुनिंदा पंक्तियां:—

सोशल मीडिया हैंडिल पर चुनिंदा पंक्तियां:—

"जलते हैं इक चिराग़ की लौ से कई चिराग
दुनिया तेरे ख़याल से रोशन हुई तो है।"

"मंज़िल पाँव पकड़ती है ठहरने के लिए...
शौक कहते हैं... दो चार कदम और..।"

"तुम खेल के पीछे के खेल में कभी न उलझना
...यह छीन लेगा तुमसे खेल का आनंद!"

"ज़िंदगी जीने का मज़ा तब आएगा जब मौत की उँगलियां पकड़ के भागा जाए।"

"तुम सोच रहे हो बस, बादल की उड़ानों तक।
मेरी तो निगाहें हैं सूरज के ठिकानों तक।।"

"जहाँ से शुरू हुआ, वहाँ से पहले से है मेरी शुरुआत।
जहाँ हुआ हूँ ख़त्म, वहाँ से आगे चला गया है मेरा सिलसिला।।"

"वतन के जाँ-निसार हैं वतन के काम आएँगे
हम इस ज़मीं को एक रोज़ आसमाँ बनाएँगे।"

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English summary
Safin Hasan Gujarat Cadre IPS Officer (2018 Batch) News, favorite Quotes, Motivational Story in Hindi
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