चिराग को चाचा से मिला 'धोखा' तो कांग्रेस-RJD ने दिया ऑफर, कहा- हमारे साथ आकर लड़ें लड़ाई
पटना, 15 जून। लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान मुश्किल दौर से जूझ रहे हैं। उनके अपने चाचा पशुपति पारस समेत पार्टी के 5 सांसदों के बागी हो जाने के बाद चिराग पासवान पार्टी में अकेले पड़ गए हैं। पिता की बनाई पार्टी में फूट के साथ ही उनकी भविष्य की राजनीति को लेकर भी संशय खड़े हो रहे हैं। इस बीच चिराग को दूसरी पार्टियों से ऑफर भी आने लगे हैं।
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एलजेपी में अकेले पड़े चिराग
कांग्रेस और बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल, दोनों उन्हें अपने साथ लाने की कोशिश में जुट गई हैं। दोनों पार्टियों ने उन्हें अपने साथ आने का ऑफर दिया है।
रविवार को एलजेपी के 6 में से 5 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को लिखित पत्र दिया था जिसमें कहा गया था कि चिराग पासवान को संसदीय दल के नेता से हटाकर पशुपति पारस को नेता बनाया जाय। पशुपति पारस एलजेपी के संस्थापक राम विलास पासवान के छोटे भाई और चिराग पासवान के चाचा हैं। यही नहीं चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज ने भी उनका साथ छोड़ दिया।
आरजेडी नेता ने दिया खुला ऑफर
पार्टी में इस फूट के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराते हुए आरजेडी और कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी और जेडीयू से अपमानित होने के बाद यह सही समय है जब चिराग को बाहर निकलकर विपक्ष में शामिल हो जाना चाहिए।
आरजेडी के विधायक भाई बीरेंद्र ने कहा कि बिहार की वर्तमान परिस्थितियां ऐसी हैं जब चिराग पासवान और तेजस्वी यादव को हाथ मिला लेना चाहिए।
बीरेंद्र ने तो चिराग पासवान को आरजेडी में राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी संभालने तक की बात कह दी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान एलजेपी अध्यक्ष को तेजस्वी को बिहार का मुख्यमंत्री बनने में मदद करनी चाहिए और वह आरजेडी की राष्ट्रीय जिम्मेदारी संभालें।
भाई बीरेंद्र ने कहा कि लोग चाहते हैं कि दोनों युवा नेताओं को साथ आना चाहिए और भविष्य की राजनीति करनी चाहिए।
कांग्रेस ने भी दिया ऑफर
वहीं दूसरी तरफ वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधान परिषद सदस्य प्रेम चंद्र मिश्रा ने भी चिराग पासवान को कांग्रेस में आने का खुला ऑफर दिया है। उन्होंने कहा कि यही सही समय है जब चिराग पासवान कांग्रेस और महागठबंधन में शामिल होकर बीजेपी और जेडीयू को उनकी सही जगह दिखाएं। मिश्रा ने ये भी कहा कि चिराग के आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी।
एलजेपी नेता चिराग पासवान को रविवार को बड़ा झटका लगा था जब रविवार को पार्टी के छह में से पांच लोकसभा सांसदों ने चिराग के खिलाफ बगावत कर दी थी। इसका नेतृत्व हाजीपुर के सांसद और रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस कर रहे थे। पारस ने चिराग को हटाकर उन्हें लोकसभा में पार्टी का नेता बनाने के लिे लोकसभा स्पीकर को पत्र दिया था। इस पत्र पर चार अन्य पार्टी सांसदों चंदन सिंह, वीणा देवी, महबूब अली कैसर और प्रिंस राज का भी समर्थन था। इसके बाद स्पीकर ने पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता स्वीकार कर लिया था।
जब पारस से पार्टी तोड़ने को लेकर सवाल किया गया तो कहा कि उन्होंने पार्टी को बचाया है। उन्होंने कहा था कि "पार्टी में छह सांसद हैं जिसमें से 5 पार्टी को बचाना चाहते थे। मैने पार्टी तोड़ी नहीं है, बचाई है। चिराग पासवान मेरे भतीजे हैं और पार्टी के अध्यक्ष हैं। मुझे उनसे कोई आपत्ति है।" हालांकि जब चिराग पासवान पारस से मिलने उनके आवास पहुंचे थे तो उन्हें बाहर काफी इंतजार करना पड़ा था।
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