'मुफ्त योजनाएं एक अहम मुद्दा, इस पर बहस की जरूरत', रेवड़ी कल्चर पर सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली, 23 अगस्त: देश में 'रेवड़ी कल्चर' पर राजनीतिक बहस चल रही है। मुफ्त योजनाओं को लेकर उठाया गया यह मुद्दा अब देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है। ऐसे में मंगलवार को अदालत ने कहा कि मुफ्त योजनाएं एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, इस पर बहस की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट में मुफ्त सुविधाओं की घोषणाओं को लेकर आम आदमी पार्टी, तमिलनाडु की डीएमके, आंध्रप्रदेश की सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस और मध्यप्रदेश की महिला कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने याचिका दाखिल की हुई है।
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जानिए सीजेआई एनवी रमना ने क्या कहा?
वहीं अब सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मुफ्त योजनाएं (Freebies) एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस पर बहस की जरूरत है। सीजेआई एनवी रमना का कहना है कि मान लीजिए कि केंद्र एक कानून बनाता है कि राज्य मुफ्त नहीं दे सकते हैं, तो क्या हम कह सकते हैं कि ऐसा कानून न्यायिक जांच के लिए खुला नहीं है। देश के कल्याण के लिए हम इस मुद्दे को सुन रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ग्रामीण गरीबी से पीड़ित व्यक्ति के लिए मुफ्त उपहार महत्वपूर्ण हैं। जिस प्रश्न का निर्णय किया जाना है वह है - फ्रीबी क्या है और कल्याण क्या है?
एमके स्टालिन की पार्टी DMK ने सुप्रीम कोर्ट का किया रुख, 'रेवड़ी पॉलिटिक्स' को लेकर दायर की याचिका
इससे पहले 20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में मुफ्त सुविधाओं के मामले पर याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने लिखित जवाब दाखिल किया था, जिसमें मांग की गई थी कि चुनाव आयोग द्वारा राजनीति दलों के घोषणपत्रों की मंजूरी के बाद ही पार्टियों को मुफ्त सुविधाओं की घोषणाओं की स्वीकृति होनी चाहिए। साथ ही कहा गया कि इसके लिए ईसी के पास एक स्वतंत्र आर्थिक जानकारों की कमेटी भी होनी चाहिए।