स्कूल में राष्ट्रगान की जगह 'अल्लाह हु अकबर के नारे' का पूरा सच!
उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के बड़ोखर खुर्द क्षेत्र में एक प्राथमिक विद्यालय में राष्ट्रगान पर पाबंदी लगाकर अल्लाह हू अकबर के नारे लगवाने का मामला फिलवक्त सुर्खियों में है। लेकिन बांदा के एबीएसए से जब हमने इस पूरे घटनाक्रम पर बातचीत की तो दूसरा पहलू जो सामने आया वह कुछ अलग ही था। आगे जानने के लिए पढ़िये ये रिपोर्ट-
प्रिंसिपल और टीचर में था आपसी विवाद
एबीएसए शिवअवतार ने वन इंडिया को बताया कि प्राथमिक विद्यालय में प्रिंसिपल साजिया परवीन और शिक्षिका शैलेंद्री के बीच काफी दिनों से आपसी विवाद चल रहा था। जिसके चलते इसे नए ढंग से पेश किया गया।
मुद्दे को दबाने की हो रही कोशिश
एबीएसए ने बताया कि यहां पर राजकुमारी और पाठक जी भी कार्यरत् हैं। उनका कहना है कि नहीं ऐसी कोई नारेबाजी नहीं होती थी। हां उन दोनों के बीच आपसी मन मुटाव इतना ज्यादा था कि एक दूसरे पर इतने गंदे आरोप लगाते थे कि जैसे कि ये अखाड़ा हो। दोनों को निलंबित करके दूसरे स्कूलों में भेज दिया गया है।
बच्चों ने कहा लगवाए जाते थे नारे
स्कूल के बच्चों की मानें तो स्कूल की बड़ी मैडम साजिया ने उन्हें प्रार्थना और राष्ट्रगान करने से मना किया था और लगभग पंद्रह दिनों तक स्कूल में प्रार्थना नही हुई। एक बच्चे ने बताया कि बड़ी मैडम 'अल्लाह हु अकबर' कहने को कहती थीं।
जांच के लिए पहुंचे एसडीएम
जब लोगों ने इस पूरे मामले में शिकायत अधिकारियों से की, जिसके बाद 23 तारीख को एसडीएम खुद जांच के लिए विद्यालय पहुंचे। और गांव वालों की भीड़ जुटने लगी। इस संदर्भ में जब एसडीएम ने बच्चों से पूछा तो आरोप सही पाए गए। और दोनों अध्यापकों को निलंबित कर दिया।
मुद्दा बड़ा पर कार्यवाही छोटी क्यों?
इस मामले में जब वन इंडिया ने बांदा में कुछ लोगों से बातचीत की तो उनका कहना था कि साफ तौर पर दिख रहा है कि आपसी विवाद के चलते प्रधानाध्यापिका जो कि पूज्य पद पर हैं उन्होंने सांप्रादायिकरण के जरिए माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया है।
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इस बड़े अपराध के लिए इतनी छोटी सजा क्यों दी गई? जब कोई शिक्षक महज विवाद के चलते समाज में अशांति फैलाने के लिए इतना बड़ा कदम उठा सकता है तो सोचिए कि वह क्या नहीं कर सकता?