जम्मू कश्मीर: रमजान माह में सीजफायर का नहीं हुआ कोई फायदा, हिंसा और हत्याओं ने बनाया नया रिकार्ड
मई के माह में जब रमजान का महीना शुरू हुआ तो जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की अपील पर केंद्र सरकार ने राज्य में सुरक्षाबलों को युद्धविराम का आदेश दिया। सभी एंटी-टेरर ऑपरेशंस रोक दिए गए और उम्मीद जताई गई कि ऐसा करने से राज्य में कुछ दिनों तक शांति कायम रह सकेगी।
श्रीनगर। मई के माह में जब रमजान का महीना शुरू हुआ तो जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की अपील पर केंद्र सरकार ने राज्य में सुरक्षाबलों को युद्धविराम का आदेश दिया। सभी एंटी-टेरर ऑपरेशंस रोक दिए गए और उम्मीद जताई गई कि ऐसा करने से राज्य में कुछ दिनों तक शांति कायम रह सकेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ बल्कि एंटी-टेरर ऑपरेशंस रुकने से राज्य में हिंसा और हत्याओं में और तेजी आ गई। रविवार को एक अधिकारी की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक इस सीजफायर के बाद राज्य में रिकॉर्ड तोड़ हिंसा और हमले हुए हैं।
केंद्र सरकार ने खत्म किया सीजफायर
रविवार को केंद्र सरकार की ओर से राज्य में एक माह के युद्धविराम को खत्म कर दिया गया है। सुरक्षाबलों को आदेश दिए गए हैं कि वे फिर से एंटी-टेरर ऑपरेशंस लॉन्च करें। एक अधिकारी की ओर से रविवार को जानकारी दी गई है कि राज्य में इस सीजफायर के दौरान रिकॉर्ड 20 ग्रेनेड अटैक्स, 50 आतंकी हमले और 41 हत्याएं हुई हैं। एक माह तक सुरक्षाबलों ने घाटी में हर तरह के ऑपरेशन को बंद किया हुआ था। अब केंद्र सरकार की ओर से सुरक्षाबलों को आदेश दे दिए गए हैं कि वे आतंकियों के खिलाफ सभी जरूरी एक्शन लें।
41 हत्याएं रिकॉर्ड में दर्ज
16 मई को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रमजान माह को देखते हुए सभी तरह के ऑपरेशंस को रोकने का आदेश सुरक्षाबलों को दिया था। मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पहली व्यक्ति थीं जिन्होंने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया था। उन्होंने उम्मीद जताई थी कि इस सीजफायर के बाद रोजाना हो रही हत्याओं में कमी आ सकेगी। मुख्यमंत्री की उम्मीद से अलग राज्य में हिंसा में लगातार तेजी आती गई। 17 मई से 17 जून तक राज्य में एंटी-टेरर ऑपरेशंस बंद थे और इस दौरान 41 हत्याएं हुईं।
आतंकवाद से जुड़ी 50 घटनाएं
अधिकारियों की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 17 अप्रैल से 17 मई तक आतंकवाद से जुड़ी 18 घटनाएं दर्ज हुईं थी लेकिन सीजफायर के दौरान आंकड़ा बढ़कर 50 पर पहुंच गया। इस दौरन सीनियर जर्नलिस्ट शुजात बुखारी की हत्या भी कई और सेना के एक जवान औरंगजेब को भी आतंकियों ने मौत के घाट उतार दिया। वहीं इस दौरान 24 आतंकी मारे गए जिनमें सबसे ज्यादा नॉर्थ कश्मीर के कुपवाड़ा में मारे गए। ये सभी आतंकी लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जैश-ए-मोहम्मद और अल बदर संगठन के थे। वहीं एक माह में सेना और सीआरपीएफ समेत सुरक्षाबलों के नौ जवान शहीद हुए।
एक माह में 20 ग्रेनेड अटैक्स
ग्रेनेड अटैक्स में भी काफी तेजी आई और 20 हमले एक माह में दर्ज हुए। इन हमलों में 62 आम नागरिक घायल हुए तो वहीं 29 कर्मी घायल हुए। दो वर्षों में यह सर्वोच्च आंकड़ा है जो एक माह में दर्ज हुआ। सीजफायर के दौरान बस एक फायदा हुआ और वह था कि इस एक माह में किसी भी आम नागरिक की मौत सुरक्षाबलों की वजह से नहीं हुई। एक माह में चार आम नागरिक मारे गए जिसमें दो पिछले दो दिनों में मारे गए हैं। पत्थरबाजी में भी कमी देखी गई। पिछले वर्ष रमजान माह में पत्थरबाजी की 200 घटनाएं हुई थीं तो इस वर्ष यह आंकड़ा 60 पर ही रहा।