राजस्थान चुनाव: जानें बीजेपी को कितनी सीटों पर झेलना पड़ सकता है हनुमान का 'कोप'
नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में जाट नेता हनुमान बेनीवाल नई पार्टी के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। बेनीवाल दावा कर रहे हैं कि वह कांग्रेस और बीजेपी के मुकाबले तीसरा राजस्थान की जनता के सामने तीसरा विकल्प पेश करने जा रहे हैं। इसमें शक नहीं कि पिछले कुछ सालों में हनुमान बेनीवाल आक्रामक जाट नेता के तौर पर राजस्थान की राजनीति में उभरे हैं। अब लाख टके का सवाल यह है कि बेनीवाल किसे ज्यादा चोट पहुंचाएंगे, कांग्रेस को या बीजेपी को?
बीजेपी के बागी हैं हनुमान बेनीवाल
हनुमान बेनीवाल ने 2008 में बीजेपी के टिकट पर खींवसर से चुनाव लड़ा था, लेकिन वसुंधरा राजे सिंधिया के साथ उनके मतभेद समय के साथ गहराते चले गए। नौबत यहां तक आ गई कि बेनीवाल ने खुद को पार्टी से अलग कर लिया और 2013 में निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर किस्मत आजमायी। बेनीवाल को खींवसर की जनता ने निर्दलीय के तौर पर स्वीकार किया।
तूफानी प्रचार कर रहे हैं हनुमान बेनीवाल
हनुमान बेनीवाल राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 की तैयारियों में जोर-शोर से जुटे हैं। वह नागौर, बाड़मेर, बीकानेर और सीकर में तूफानी रैलियां कर रहे हैं। हनुमान बेनीवाल जाटों को केंद्र में रखकर रणनीति बना रहे हैं। उनके लिए सकारात्मक बात यह है कि राजस्थान में जाट मतदाताओं का ट्रेंड रहा है कि वे एकमुश्त वोट डालते हैं। ऐसे में अगर हनुमान बेनीवाल जाटों तक अपनी बात पहुंचाने में कामयाब रहे तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों की मुश्किल बढ़ सकती है।
राजस्थान विधानसभा चुनाव में जाट वोटों का असर
नागौर को जाट लैंड कहा जाता है। इसके अलावा जोधपुर, बाड़मेर में भी जाट मतदाताओं का खासा प्रभाव है। कुल मिलाकर 25 से 30 सीटों पर जाट वोट बेहद अहम हैं। इनमें 10 से 12 सीटों जाट जाट वोटर्स का पूरा प्रभाव है। हनुमान बेनीवाल जानते हैं कि प्रदेश के ज्यादातर जाट वोटर किसान हैं, इसलिए वह प्रचार भी ट्रैक्टर से ही कर रहे हैं।
तीसरा मोर्चा बनाने में जुटे हनुमान बेनीवाल
हनुमान बेनीवाल किसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे? चुनाव बाद जरूरत पड़ने पर किसके साथ जाएंगे, बीजेपी या कांग्रेस? इन सवालों के जवाब चुनाव से पहले मिल पाना बेहद कठिन है, क्योंकि बेनीवाल ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इस समय वह अपनी पार्टी बनाकर कांग्रेस, बीजेपी विरोधी तीसरा मोर्चा खड़ा करने की तैयारी में हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस, बीजेपी का विरोधी करने वाले हर दल के साथ वह गठजोड़ करने तैयार हैं। राजनीतिक सच यह भी है कि राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी से अलग किसी दल या गठबंधन का सत्ता में आना भी करीब-करीब नामुमकिन है। बहरहाल, इस समय तो बेनीवाल तीसरे मोर्चे के लिए बैटिंग कर रहे हैं। वह कहते हैं, उनकी पार्टी युवाओं को रोजगार, किसानों को पूर्ण कर्ज माफी, कानून व्यवस्था, मुफ्त बिजली तथा मजबूत लोकपाल के मुद्दों को लेकर चुनाव में उतरने जा रही है। राजस्थान में 7 दिसंबर को वोटिंग होनी है और नतीजे 11 दिसंबर को घोषित कर दिए जाएंगे।