राजस्थान: बागी विधायकों की याचिका पर कोर्ट में बहस शुरू, सिंघवी रख रहे हैं दलील
नई दिल्ली। राजस्थान में मचे सियासी घमासान के बीच आज का दिन काफी अहम है। दरअसल प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने बागी सचिन पायलट और उनके समर्थक 18 विधायकों को दल-बदल कानून के तहत नोटिस थमाया था, लेकिन इस नोटिस के खिलाफ सचिन पायलट ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले पर हाई कोर्ट आज अपना निर्णय सुना सकता है। ऐसे में आज कोर्ट के फैसले पर सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच की जंग का निर्णायक फैसला माना जा रहा है। फिलहाल इस मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है और राजस्थान स्पीकर की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी दलील रख रहे हैं।
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अभिषेक मनु सिंघवी रख रहे हैं दलील
इस मामले में रजास्थान के स्पीकर की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए हैं। उन्होंने कोर्ट में कहा कि स्पीकर के आदेश को सीमित आधार पर ही चुनौती दी जा सकती है। लेकिन इस याचिका में इस तरह का कोई आधार नहीं है। बता दें कि इस मामले की सुनवाई राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर बेंच में चल रही है। चीफ जस्टिस इंद्रजीत महंती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
हरीश साल्वे हैं सचिन पायलट के वकील
विधानसभा अध्यक्ष ने सचिन पायलट समेत 18 विधायकों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 191 की दसवीं अनुसूचि और राजस्थान विधानसभा सदस्य नियम 1989 के तहत यह नोटिस जारी किया था। इस पूरे विवाद की सुनवाई कोर्ट में पूरी हो चुकी है। सचिन पायलट की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने पैरवी की और कोर्ट में उनकी ओर से दलील रखी। हरीश साल्वे ने कहा कि किसी भी विधायक ने अपनी पार्टी के खिलाफ किसी भी तरह का कोई बयान नहीं दिया है और ना ही इस तरह का कोई काम किया है जिससे यह साबित किया जा सके कि ये लोग पार्टी के खिलाफ षड़यत्र कर रहे हैं। लिहाजा इस मामले को पार्टी से नहीं जोड़ा जा सकता है। हरीश साल्वे ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन करार देते कहा कि विधायकों को दल-बदल कानून के तहत नोटिस नहीं दिया जा सकता है।
कांग्रेस का आरोप
बता दें कि सचिन पायलट 18 बागी विधायकों के साथ हरियाणा के एक होटल में ठहरे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी लोकतांत्रित तरीके से चुनी गई सरकार को गिराना चाहती है। इस वजह से वो विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रही है। बीजेपी ने साफ किया है कि उसने फ्लोर टेस्ट की मांग कभी नहीं की थी। जिस पर अब कांग्रेस ने फिर पलटवार किया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने कहा कि बीजेपी का कहना है कि हमने फ्लोर टेस्ट की मांग ही नहीं की। आप फ्लोर टेस्ट की मांग तो तब करेंगे जब आप विधायकों को तोड़ लेंगे, आप विधायकों को खरीद नहीं पा रहे, तो फ्लोर टेस्ट की मांग कैसे करेंगे। इससे पहले शनिवार को कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी कांग्रेस के बागी विधायकों को कर्नाटक शिफ्ट करना चाहती है, ताकी गहलोत सरकार को अस्थिर कर सके।