बकरी बेचकर और पायल गिरवी रख बनाया शौचालय
नई दिल्ली। PIB में छपी खबर के मुुताबिक राजस्थान के डूंगरपुर जिले के एक आदिवासी परिवार ने लाज बचाने के लिए अपनी आजीविका के प्रमुख साधन बकरी को बेचकर और चांदी के आभूषण को गिरवी रखकर शौचालय निर्माण करके अनूठा उदाहरण पेश किया है।
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गरीब परिवार की दास्तान
कहानी है डूंगरपुर-रतनपुर-अहमदाबाद मार्ग पर सड़क किनारे एक टूटी-फूटी झोंपड़ी में रहने वाले श्री कांतिलाल रोत और उसके परिवार की। शहर की एक मिल में दिहाड़ी मजदूरी करने वाला श्री कांतिलाल रोत अपनी विधवा मां, स्वर्गीय छोटे भाई की पत्नी और बच्चों के साथ अपनी पत्नी-बच्चों वाले बड़े परिवार का पालन पोषण कर रहा था।
परिवारजनों को शौचालय बनवाने के लिए समझाया
गत दिनों स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर परिषद डूंगरपुर द्वारा चलाए गए विशेष अभियान के तहत काम कर रहे फिनिश सोसायटी के प्रतिनिधियों ने उससे संपर्क किया और परिवारजनों को शौचालय बनवाने के लिए समझाया। शहर से सटी बस्ती के कारण विधवा मां श्रीमती लाली रोत भी अपनी दोनों बहुओं और खुद के लिए शौचालय की आवश्यकता महसूस कर रही थी।
शौचालय के लिए 12 हजार रुपये दिए जाएंगे
उसे बताया गया कि नगरपरिषद द्वारा प्रोत्साहन राशि के रूप में केन्द्र सरकार की ओर से 4 हजार, राज्य सरकार के 4 हजार रुपये तथा नगरपरिषद की ओर से 4 हजार रुपये मिलाकर कुल 12 हजार रुपये दिए जाएंगे तो पूरा परिवार खुशी-खुशी शौचालय बनवाने के लिए तैयार हो गया।
पूरे परिवार ने खुद के हाथों गड्डा खोदना प्रारंभ किया
प्रोत्साहन राशि के चार हजार की प्रथम किश्त मिलने के साथ ही पूरे परिवार ने खुद के हाथों गड्डा खोदना प्रारंभ किया। शेष राशि मिलने के बाद आवश्यक सामग्री खरीद कर ऊपर का ढांचा और पानी की टंकी भी बना ली परंतु अब उनके पास कारीगरों को चुकाने के लिए राशि खत्म हो चुकी थी।
बकरी 5 हजार रुपये में बेच दी
विधवा मां की जिद थी कि शौचालय तो बनेगा ही। उसकी सलाह पर श्री कांतिलाल ने अपने घर की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली सात बकरियों में से एक बकरी 5 हजार रुपये में बेच दी और कारीगरों को मजदूरी का भुगतान किया। अब शौचालय के दरवाजे और अन्य सामग्री के लिए और धनराशि की आवश्यकता हुई तो उसकी पत्नी श्रीमती गौरी ने अपनी शादी में पीहर से आई हुई चांदी की पायल को गिरवी रखने के लिए दे दिया।
चांदी की पायल को गिरवी रखी
बस फिर क्या था, श्री कांतिलाल ने बाजार में पायल को गिरवी रखकर चार हजार रुपये लिए और अपने शौचालय को पूर्ण करवाया और अब पूरा परिवार इसी शौचालय का उपयोग करता है।
परिवार अपितु आस-पड़ोस के लोग भी बड़े खुश
श्रीमती लाली और श्रीमती गौरी के इस समर्पण पर न सिर्फ परिवार अपितु आस-पड़ोस के लोग भी बड़े खुश दिखे। इस दौरान फिनिश सोसायटी के श्री निहाल अहसन और नगरपरिषद के कार्मिक भी मौजूद थे।
लेखक : राजस्थान सूचना केंद्र, बीकानेर हाउस में अपर निदेशक हैं