Indian Railways:आया 'नवदूत' तो बिना डीजल-बिजली के चल पड़ी ट्रेन, देखिए Video
नई दिल्ली- हाल के दिनों में भारतीय रेलवे ने कम खर्च में रेलवे के बेहतरीन संचालन के कई कारगर उपाय ढूंढ़ निकाले हैं। उसी में रेलवे को एक और एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है, जिसमें बिना बिजली या डीजल इंजन लगाए ही ट्रेन चलाई गई है। यह सफलता भारतीय रेलवे के जबलपुर मंडल को मिली है, जिसका वीडियो खुद रेल मंत्री ने जारी किया है। बता दें कि इसी महीने भारतीय रेलवे ने चार मालगाड़ियों के ढाई सौ से ज्यादा वेगन जोड़कर शेषनाग को उतारा था। रेलमंत्री ने इस ट्रेन की तस्वीर और वीडियो को भी शेयर किया था। जबकि, उससे ठीक पहले रेलवे ने सुपर एनाकोंडा ट्रेन पटरी पर दौड़ाने में सफलता पाई थी। उस कड़ी में बिना डीजल-कोयला-बिजली वाले इंजन से ट्रेन चलाना बहुत बड़ी कामयाबी मानी जा रही है। क्योंकि, रेलवे ये सारे तरीके विदेशी मुद्रा की बजत के लिए कर रहा है, जो कि न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी बहुत अनुकूल है।
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आया 'नवदूत' तो बिना डीजल-बिजली के चल पड़ी ट्रेन
कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान भारतीय रेलवे ने एक से बढ़कर ऐसी कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जिसपर देशवासियों को गर्व हो सकता है। कम खफत में ज्यादा से ज्यादा संसाधनों का उपयोग और नेशनल ट्रांसपोर्टर की ज्यादा कमाई का रास्ता निकलना इसमें शामिल है। अब भारतीय रेलवे के जबलपुर मंडल ने एक ऐसा लोको इंजन तैयार किया है, जो बैटरी से चलता है। इस बैटरी इंजन को 'नवदूत' नाम दिया गया है। जाहिर है कि अगर रेलवे इंजन बैटरी पर चलने लगेगें तो पारंपरिक ऊर्जा की भी बचत होगी और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी हम मजबूती से आगे बढ़ेंगे। प्रदूषण कम होगा सो अलग। 'नवदूत' का निर्माण पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर मंडल में किया गया है, जो कि ड्यूल मोड शंटिंग लोको है। जबलपुर में ही इस इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण भी किया गया है।
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यह लोको उज्ज्वल भविष्य का संकेत है- रेल मंत्री
रेलवे को मिली इस सफलता पर इस परीक्षण का वीडियो ट्विटर पर शेयर करते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लिखा है, "रेलवे के जबलपुर मंडल में बैटरी से चलने वाले ड्यूल मोड शंटिंग लोको 'नवदूत' का निर्माण किया गया, जिसका परीक्षण सफल रहा। बैटरी से ऑपरेट होने वाला यह लोको एक उज्ज्वल भविष्य का संकेत है, जो डीजल के साथ विदेशी मुद्रा की बचत, और पर्यावरण संरक्षण में एक बड़ा कदम होगा।"
'शेषनाग' चलाकर किया धमाका
बता दें कि पिछले हफ्ते ही रेलवे ने 'शेषनाग' के नाम से विशालकाय ट्रेन को पटरी पर उतारा था। 'शेषनाग' को चार मालगाड़ियों (चार इंजनों के साथ) को जोड़कर तैयार किया गया। इस ट्रेन में 251 वेगन लगाए गए थे। इस ट्रेन की लंबाई 2.8 किलोमीटर थी। 'शेषनाग' ट्रेन को साउथ-ईस्ट-सेंट्रल रेलवे के नागपुर डिवीजन से कोरबा के चलाया गया। ट्रेन को 260 किमी की दूरी को तय करने में तकरीबन 6 घंटे का वक्त लगा। इससे पहले रेलवे ने करीब 2 किलोमीटर लंबी सुपर एनाकोंडा को दौड़ाया था, जिसमें 6000 हॉर्स पावर की क्षमता वाले 3 इंजन लगाए गए थे। इस ट्रेन में 177 लोडेड वैगन थे।
इलेक्ट्रिफाइड सेक्शन पर डबल डेकर कंटनेर चलाया
बता दें कि इसी कोरोना लॉकडाउन के दौरान भारतीय रेलवे ने बिजली लाइन पर पहली डबल-स्टेक कंटेनर ट्रेन सफलतापूर्वक चलाकर एक वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया है। ऐसी पहली डबल-डेकर कंटेनर ट्रेन पश्चिम रेलवे की इलेक्ट्रिफाइड सेक्शनों गुजरात में पालनपुर और बोटाड के बीच चलाई गई। ये पूरे विश्व में अपनी तरह की पहली उपलब्धि है। रेलवे के इस प्रयास से ग्रीन इंडिया के महत्वाकांक्षी मिशन को बहुत ज्यादा बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। रेल मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि भारतीय रेलवे बड़े गर्व के साथ डबल-स्टेक कंटेनर ट्रेन चलाने वाला पहला रेलवे बन गया है। 10 जून को यह ऑपरेशन गुजरात के पालनपुर और बोटाड स्टेशनों के बीच कामयाबीपूर्वक संपन्न किया गया।
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