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पुलवामा के शहीदों के लिए उमेश गोपीनाथ ने जो किया, वह जानकर आपको भी गर्व होगा

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नई दिल्ली- पूरा देश 14 फरवरी को पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 40 जवानों को कोटि-कोटि श्रद्धांजलि दे रहा है। लेकिन, महाराष्ट्र के उमेश गोपीनाथ जाधव उन जवानों को पिछले एक साल से लगातार और अनोखे तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे हैं। जाधव की कहानी सुनकर सुरक्षा बल के जवानों से लेकर आम नागरिक भी गर्व महसूस करेंगे। यही वजह है कि जाधव को कश्मीर के लेथपोरा स्थित सीआरपीएफ कैंप में उन शहीदों की शहादत के एक साल पूरे होने पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में स्पेशल गेस्ट के तौर खास तौर पर बुलाया गया। आइए जानते हैं कि आखिर जाधव ने ऐसा क्या किया, जिसकी चर्चा आज पूरे देश में हो रही है और जो भी देशवासी उनके बारे में सुन रहा है, वह भावुक होने के साथ-साथ उनपर फक्र भी महसूस कर रहा है।

स्पेशल गेस्ट के तौर पर शामिल हुए जाधव

स्पेशल गेस्ट के तौर पर शामिल हुए जाधव

40 साल के उमेश गोपीनाथ जाधव को कश्मीर के लेथपोरा में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बतौर स्पेशल गेस्ट आमंत्रित किया गया। यह सभा पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को उनकी बरसी पर श्रद्धा-सुमन देने के लिए आयोजित किया गया। दरअसल, 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले की वो तारीख और पेशे से म्यूजिशियन और फार्माकॉलजिस्ट उमेश गोपीनाथ जाधव का बहुत ही मार्मिक संबंध जुड़ चुका है। इस श्रद्धांजलि समारोह में वो सारे कलश रखे गए थे, जो जाधव ने पिछले एक साल में उन शहीदों के घरों और उनके श्मशान स्थलों की मिट्टी भरकर जुटाए हैं।

पुलवामा हमले ने बदल दी गोपीनाथ की जिंदगी

पुलवामा हमले ने बदल दी गोपीनाथ की जिंदगी

पुलवामा हमले के सभी 40 शहीदों के घर और श्मशान घाट की मिट्टी जुटाने की जाधव की यात्रा पिछले साल 14 फरवरी को हुई शुरू हो गई थी। हुआ यूं कि वो राजस्थान के अजमेर में एक म्यूजिक कंसर्ट में हिस्सा लेकर पिछले साल इसी दिन अपने घर बेंगलुरू लौट रहे थे। हवाई जहाज के इंतजार में जब वे जयपुर एयरपोर्ट पर बैठे थे तो वहीं उन्होंने टीवी पर पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर बड़े आत्मघाती आतंकी हमले की खबर देखी। उस घटना की तस्वीरों ने उन्हें अंदर से हिलाकर रख दिया और उन्होंने तभी ठान लिया कि उन शहीदों के परिवारों के लिए कुछ तो करना है।

61,000 किमी की 'तीर्थयात्रा' कर लौटे हैं

61,000 किमी की 'तीर्थयात्रा' कर लौटे हैं

गोपीनाथ ने प्रण किया कि वे सभी 40 शहीदों के परिजनों से मुलाकात करेंगे। उनकी 61,000 किलोमीटर की ये 'तीर्थयात्रा' पिछले हफ्ते ही पूरी हुई है। वे कहते हैं, 'मैंने हर जवान के घर के बाहर से मिट्टी इकट्ठा करने में पूरा 2019 गुजार दिया, जो शहीद हो गए थे। वो सारी इन कलशों में है..' जाधव म्यूजिशियन बनने से पहले फार्माकॉलजिस्ट थे। गोपीनाथ ने कहा है, "मुझे गर्व है कि मैं पुलवामा के सभी शहीदों के परिवारों से मिला और उनका आशीर्वाद लिया। माता-पिता ने अपने बेटे को खो दिया, पत्नियों ने अपने पतियों को गंवा दिया, बच्चों के पिता चले गए, दोस्तों का दोस्त ना रहा। मैंने उनके घरों और उनकी श्मशान भूमि से मिट्टी इकट्ठी की है।"

देशभक्ति के रंग में सराबोर हुआ जीवन

देशभक्ति के रंग में सराबोर हुआ जीवन

कश्मीर के लेथपोरा में शहीदों के लिए आयोजित समारोह के लिए वो साल भर में जुटाई हुई सारी मिट्टी के कलशों के साथ पहुंचे थे। उनके लिए साल भर की उनकी यह यात्रा उनकी जिंदगी के लिए सब कुछ बन गया। देशभर के अलग-अलग इलाकों से आने वाले एक-एक शहीदों के घर तक पहुंचना उनके लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। कई जवान देश के दूर-दराज इलाकों के थे। वह होटलों का महंगा बिल देने में असमर्थ होते थे, जो उनकी कार ही उनके रैन-बसेरे का काम करता था, जिसपर देशभक्ति के नारे खूबसूरती से पेंट किए गए हैं।

हर कलश में बसी है शहीदों की यादें

हर कलश में बसी है शहीदों की यादें

उनके लिए 40 शहीदों के घरों का उनका अनुभव काफी अलग रहा। लेकिन, उनके मुताबिक जहां भी वो गए उन्होंने शहीदों के परिजनों के साथ में खाना खाया और साथ ही रोए भी। लेकिन, हर शहीद के घर से जुटाई गई मिट्टी से भरा कलश उस जवान की यादों को अपने आप में समेटे है, उन्हें इसी बात का फक्र है। श्रद्धांजलि समारोह में उन्हें विशेष अतिथि के तौर पर शामिल करने को लेकर जम्मू कश्मीर के स्पेशल डीजी (जम्मू-कश्मीर जोन) जुल्फीकार हसन ने बताया कि श्रद्धांजलि सभा में जाधव को शहीदों के लिए उनके विशेष योगदान को देखते हुए स्पेशल गेस्ट के तौर पर बुलाया गया।

जाधव को है इस इनाम का इंतजार

जाधव को है इस इनाम का इंतजार

एक वर्ष पहले जाधव ने शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए जो काम अपने हाथ में लिया था, उसे उन्होंने पूरा कर दिखाया है। अब उन्हें उम्मीद है कि इसका उनके परिवार पर भी काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया, 'मेरी पत्नी और दोनों बच्चों को मुझ पर गर्व है। मैं आशा करता हूं कि एक दिन मेरे बच्चे सैन्य बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित होंगे। वही मेरा इनाम होगा।'

श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर हुआ था हमला

श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर हुआ था हमला

पिछले साल 14 फरवरी को दोपहर बाद करीब 3 बजे जैश ए मोहम्मद के एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरे अपने वाहन को श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाइवे से गुजर रहे सीआरपीएफ के काफिले की गाड़ी से टकरा दिया था। पाकिस्तान के इशारे पर पुलवामा में हुए इस बड़ी आतंकी वारदात में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। काफिले में सीआरपीएफ की 78 बसें चल रही थीं, जनपर करीब 2500 जवान सवार थे।

पीएम मोदी ने कही थी बदला लेने की बात

पीएम मोदी ने कही थी बदला लेने की बात

इस आतंकी घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। जनता पाकिस्तान से हर हाल में बदला चाहती थी। इसपर पीएम मोदी ने 17 फरवरी, 2019 को कहा था कि, "मेरे सीने में भी वही आग महसूस हो रही है, जो आपके अंदर जल रही है।" इससे एक दिन पहले उन्होंने कहा था 'हर आंसुओं का बदला लिया जाएगा' और 'दुश्मनों को जवाब देने के लिए सुरक्षा बलों को स्थान, समय, तीव्रता और तरीका तय करने की पूरी आजादी है।'

12 दिन बाद बालाकोट में लिया था बदला

12 दिन बाद बालाकोट में लिया था बदला

पुलवामा हमले के करीब 12 दिन बाद 26 फरवरी को तड़के भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने पाकिस्तान के कई किलोमीटर भीतर घुसकर बालाकोट में मौजूद जैश ए मोहम्मद के आतंकवादी कैंप को तबाह कर दिया। इस कार्रवाई में बड़ी संख्या में जैश के आतंकी, उनके ट्रेनर, सीनियर कमांडर और जिहादी आत्मघाती हमलावरों का सफाया हो गया था। यह कैंप जैश सरगना मसूद अजहर का भाई यूसुफ अजहर की निगरानी में चलता था। शुरू में नकारने के बाद खुद पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने भी माना था कि भारत ने बालाकोट में बहुत बड़ा एयर स्ट्राइक किया था।

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English summary
Full story of Umesh Gopinath Jadhav who paid homage by bringing mud from the house and cremation ground of all 40 martyrs of Pulwama
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