भारत के सभी सार्वजनिक पुस्तकालय होंगे डिजिटल
इस योजना के तहत, आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों पर बल देने के लिये, संस्कृति मंत्रालय के तहत छह पुस्तकालयों, राज्यों में 35 केंद्रीय पुस्तकालयों और 35 जिला पुस्तकालयों को मॉडल लाइब्रेरी के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके अलावा, राज्य भर में 629 जिला पुस्तकालयों को भौतिक से लेकर आभासी तक उनके परिवर्तन की सुविधा उपलब्ध कराते हुए, नेटवर्क कनेकिटविटी प्रदान की जाएगी। देश में उपलब्ध जानकारी के साथ डिजिटल संसाधनों पर एक व्यापक डेटाबेस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारत में एक राष्ट्रीय आभासी पुस्तकालय का निर्माण करेगा।
12वीं पंचवर्षीय योजना अवधि (2012-17) के दौरान 400 करोड़ रुपये के खर्च को ध्यान में रखते हुए, एनएमएल की स्थापना छात्रों, शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों, पेशेवरों, बच्चों, कलाकारों, व्यंग्य कवियों और नव साक्षरों तथा निरक्षरों - सभी श्रेणियों के लोगों के लाभ के लिए की गयी है।
मंत्रालय के सचिव रविंद्र सिंह के अनुसार एनएमएल का उद्देश्य देश की सीखने की क्षमता का विस्तार करना और एक विश्व स्तरीय पुस्तकालय प्रणाली उपलब्ध कराना है जो समय पर, कुशल और सुविधाजनक तरीके से जानकारी उपलब्ध करा सके। उन्होंने कहा, ''जानकारी को और अधिक सुलभ बनाना पुस्तकालय क्षेत्र में अब सर्वोपरि माना जाता है। हमारे पुस्तकालय पुस्तकों से भरे हो सकते हैं, लेकिन डिजिटल युग में, ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी तक पहुँच प्रदान करने की आवश्यकता है। डिजिटल पुस्तकालय जानकारी तक तेजी से पहुँच की सुविधा उपलब्ध कराते हैं और समय और स्थान की बाधाओं को भी कम करते हैं।"
ग्रामीण और शहरी समुदायों के बीच पढ़ने की आदतों पर हो रहा अध्ययन
एनएमएल का गठन सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की एक रिपोर्ट के आधार पर किया गया था, जिसने पुस्तकालय और सूचना सेवा क्षेत्र के निरीक्षण की सिफारिश की।
कोलकाता के राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन (आरआरआरएलएफ) ने दिल्ली विश्वविधालय के पूर्व उप कुलपति की अध्यक्षता वाले 10 सदस्यीय निकाय एनएमएल के क्रियान्वयन के लिए एक नोडल एजेंसी को नामित किया। आरआरआरएलएफ के महानिदेषक डा. केके बनर्जी ने कहा, ''यह एक रोमांचक मिशन है। पुस्तकालय अब भी हमारे जीवन में प्रासंगिक बने हुए हैं। चुनौती न केवल बड़ी मात्रा में उपलब्ध सामग्री और संसाधनों के रख रखाव की है, बलिक उन्हें लोगों को उपलब्ध कराने और उन्हें सशä बनाने की भी है।"
इसके अलावा, पुस्तकालयों में उपलब्ध संसाधनों पर गणना भी शुरू की जाएगी। देश के विभिन्न क्षेत्रों में और ग्रामीण और शहरी समुदायों के बीच पढ़ने की आदतों पर एक अध्ययन करने की भी योजना बनार्इ गर्इ है। हालांकि पुस्तकालयों के सर्वेक्षण का काम एक वर्ष के भीतर पूरा कर लिया जाएगा, जबकि योजना के अन्य उद्श्यों को 12वीं योजना अवधि के अंत तक प्राप्त कर लिया जाएगा।
डा. बनर्जी ने बताया, ''एनवीएल पर सामग्री इंटरनेट तक पहुँच वाले सभी लोगों के लिए उपलब्ध होनी चाहिए। नर्इ जानकारी वाली पीढ़ी में, बच्चों की जरूरतों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसे ध्यान में रखते हुए सामग्री कौशल विकास पर और क्षेत्रीय और स्थानीय हित से संबंधित मामलों पर भी उपलब्ध करायी जाएगी। उन्होंने कहा, ''पुस्तकालयों में 'युवाओं के लिए जगह बनाने की भी जरूरत है जो अनौपचारिक हो और आर्इसीटी सुविधा से युक्त हो।