लोकसभा चुनाव 2019: तिरुवल्लूर लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: तमिलनाडु की तिरुवल्लूर लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद AIADMK नेता पी वेणुगोपाल हैं। साल 2014 के चुनाव में उन्होंने इस सीट पर VCK पार्टी के कद्दावर नेता डी रविकुमार ( D. Ravikumar) को 323, 430 वोटों से हराया था। पी वेणुगोपाल को यहां पर 628, 499 वोट हासिल हुए थे, तो वहीं डी रविकुमार को मात्र 305, 069 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। उस साल इस सीट पर नंबर 3 पर DMDK पार्टी थी, जिसे कि मात्र 204, 734 वोट मिले थे तो वहीं नंबर 4 पर कांग्रेस पार्टी थी, जिसे कि मात्र 43960 वोट नसीब हुए थे।
साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17,02,833 थी, जिसमें से मात्र 12,54,440 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग यहां पर किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 6,45,535 और महिलाओं की संख्या 6,08,905 थी।आपको बता दें कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित ये सीट 2008 के नए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई थी, जिसके बाद साल 2009 में यहां आम चुनाव हुए जिसे कि AIADMK नेता पी वेणुगोपाल ने जीता था और वो यहां के सांसद की सीट पर विराजमान हुए। साल 2014 का चुनाव भी उन्होंने ही यहां पर जीता।
तिरुवल्लूर,परिचय-प्रमुख बातें-
तिरुवल्लूर जिला, तमिलनाडु के प्रमुख शहरों में से एक हैं, यहां पर 12 ब्लॉक, 5 नगरपालिकाओं और 10 टाऊन पंचायत हैं, इस शहर का नाम तिरु और वल्लूर से मिलकर बना है , जो कि भगवान पेरूमल (Perumal) की सुप्तावस्था को बयां करता है। बहुत सारी धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बातों को अपने आंचल में समेटे इस शहर की आबादी 21,88,385 है, जिसमें से 48.04% जनसंख्या गांवों में और 51.96% जनसंख्या शहरों में निवास करती हैं, यहां 27 प्रतिशत लोग एससी और 1 प्रतिशत लोग एसटी वर्ग के हैं। अपने वेटेनरी कॉलेज के लिए मशहूर तिरुवल्लूर में 89 फीसदी आबादी हिंदू और 3 प्रतिशत मुस्लिम हैं, बाकी प्रतिशत अन्य समुदाय के लोगों का है।
पी वेणुगोपाल का लोकसभा में प्रदर्शन
दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान पी वेणुगोपाल की लोकसभा में उपस्थिति 86 प्रतिशत रही और इस दौरान इन्होंने 66 डिबेट में हिस्सा लिया और 615 प्रश्न पूछे हैं, जिनमें से ज्यादातर सवाल बिजली, उद्योग, सफाई, पर्यटन और रोजगार से जुड़े रहे हैं।
इस सीट पर पिछले दस सालों से AIADMK राज कर रही है और डीएमके जीत के लिए तरस रही है, लेकिन इस वक्त राज्य के सियासी हालात बदले हुए हैं, दोनों ही पार्टियां अपने शीर्ष और लोकप्रिय नेताओं को खो चुकी हैं, AIADMK ने अपनी अम्मा जयललिता को खोने के बाद काफी संघर्षों से गुजरी है, दिवंगत जयललिता के नेतृत्व में 2014 के लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली एआईएडीएमके में उनके निधन के बाद फूट पड़ गई तो वहीं DMK पर से करूणानिधि का साया उठ चुका है, पिछले साल हुए RK नगर उपचुनाव में वीसीके ने डीएमके उम्मीदवार एन मरूथुगणेश को अपना समर्थन दिया था, जिससे यह संकेत मिले थे कि जरूरत पड़ने पर ये समर्थन आगे भी जारी रह सकता है, ऐसे में इस सीट पर दोनों ही पार्टियों को जीतने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है, फिलहाल जीत और हार के इस खेल में जीत उसी को नसीब होगी जिसे कि जनता का साथ मिलेगा और वो किसके साथ है, इसका पता तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे।