लोकसभा चुनाव 2019: रायगढ़ लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ की रायगढ़ लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद बीजेपी के विष्णु देव साय हैं। उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी आरती सिंह को 2 लाख 16 हज़ार से ज्यादा मतों से पराजित किया। उन्हें 6 लाख 62 हज़ार वोट मिले। वे चार बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं और 1999 से इस सीट से सांसद हैं। रायगढ़ लोकसभा सीट में ग्रामीण आबादी का प्रतिशत 85.79 है। कुल आबादी में आदिवासियों का हिस्सा 44 फीसदी है जबकि अनुसूचित जाति की आबादी 11.70 फीसदी है। 2014 के लोकसभा चुनाव के वक्त इस लोकसभा की सीट पर 16 लाख से ज्यादा मतदाता थे और इनमें 12 लाख 46 हज़ार से ज्यादा मतदाताओं ने मतदान किया था। तब यहां 78 फीसदी मतदान हुआ था।

रायगढ़ की ख्याति इसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के कारण है। यहां कभी अंग्रेजों का प्रत्यक्ष शासन नहीं रहा। राजाओं के माध्यम से अंग्रेज यहां राज करते रहे। महाराज मदन सिंह को रायगढ़ का संस्थापक माना जाता है। राजा चक्रधर सिंह स्वतंत्र रायगढ़ के अंतिम राजा हुए। आज़ादी के बाद रायगढ़ पहला राज्य था जो भारतीय संघ में शामिल हुआ। रायगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने अब तक 6 बार चुनाव जीता है। 1977 में जनता पार्टी ने कांग्रेस से यह सीट छीनी थी। फिर 1989 में बीजेपी उम्मीदवार नंद कुमार साय ने कांग्रेस से यह सीट छीन थी। विष्णु देव साय ने 1999 में पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी को हराया था और फिर सांसद बने। अजित जोगी ने 1998 में रायगढ़ से लोकसभा का चुनाव जीता था। लेकिन, उसके बाद से रायगढ़ में कांग्रेस जीत के लिए तरस गयी है।
विष्णुदेव साय का लोकसभा में प्रदर्शन
केन्द्रीय मंत्री के तौर पर विष्णुदेव साय मोदी मंत्रिपरिषद का हिस्सा बने। उन्होंने 36 बार संसद की कार्यवाही और बहस में हिस्सा लिया। दो सरकारी बिल पेश करने में उनकी भागीदारी रही। सांसद निधि का विष्णु देव साय ने पूरा इस्तेमाल किया है। 25 करोड़ की रकम में से 22 करोड़ 43 लाख की रकम खर्च हो चुकी है। महज 2 करोड़ 73 लाख रुपये खर्च किया जाना बाकी है। यह स्थिति दिसम्बर 2018 के हिसाब से है।
रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीट हैं। जशपुर, कुनकुरी, पठालगांव, लैलुगा, रायगढ़, सारंगगढ़, खरसिया और धर्मजयगढ़। सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। यह बात बहुत ख़ास है कि बीजेपी 2018 के विधानसभा चुनाव में रायगढ़ लोकसभा सीट के अंतर्गत विधानसभा सीटों पर खाता भी नहीं खोल सकी। सारंगढ़ सीट पर बीएसपी तीसरे स्थान पर रही और उसे 30 हज़ार से अधिक वोट मिले। वहीं लैलुंगा सीट पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने 12 हज़ार वोट हासिल किए। इसके अलावा बाकी सीटों पर इन दोनों दलों का साझा प्रदर्शन बहुत मामूली रहा। लिहाजा लोकसभा चुनाव में भी ये दोनों दल सीमित प्रभाव ही दिखा पाएंगे, ऐसा माना जा सकता है।
बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में बीजेपी को रायगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस की ओर से तगड़ी चुनौती मिलेगी, इसके पूरे आसार हैं। बीजेपी सांसद विष्णु देव साय को पांचवीं बार लोकसभा पहुंचने के लिए कांग्रेस की तगड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा क्योंकि अब बीजेपी का एक भी विधायक इस लोकसभा क्षेत्र में नहीं बचा है जो चुनाव के दौरान उनकी मदद कर सके। वहीं, चुनाव के दौरान कांग्रेस के हौंसले बुलन्द रहेंगे।