देश के नए रक्षामंत्री बनकर अब चीन और पाकिस्तान को जवाब देंगे राजनाथ सिंह
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में देश के गृहमंत्री रहे राजनाथ सिंह अब अगले रक्षा मंत्री होंगे। उन्होंने निर्मला सीतारमण से पदभार संभाला है। राजनाथ सिंह को एक ऐसे शख्स के तौर पर जाना जाता है जिनके पक्ष और विपक्ष में शामिल हर नेता के साथ मधुर संबंध है। कहा जाता है कि वह देश की वर्तमान राजनीति में पहले ऐसे राजनेता हैं जिनका कोई दुश्मन नहीं है। राजनाथ सिंह ने बतौर गृहमंत्री किसानों के विरोध प्रदर्शन से लेकर, जम्मू कश्मीर में होने वाली हिंसा तक और जाट कोटा पर जारी संग्राम को सुलझाने में एक अहम भूमिका अदा की।
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विशेषज्ञ देखते हैं वाजपेयी की छवि
राजनाथ सिंह में कई विशेषज्ञ पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की छवि देखते हैं। जानकार मानते हैं कि बीजेपी में इस समय अगर कोई अटल बिहारी वाजपेयी की 'अजातशत्रु', यानी एक व्यक्ति जिसका कोई शत्रु नहीं, की इमेज को आगे लेकर जा सकता है तो वह सिर्फ राजनाथ सिंह हैं। राजनाथ सिंह के विपक्ष के नेता जैसा गुलाम नबी आजाद, ममता बनर्जी, मुलायम सिंह यादव और उमर अब्दुल्ला के साथ अच्छे संबंध रहे हैं। इस वजह से ही सरकार जब कभी किसी मुद्दे पर फंसी तो राजनाथ सिंह को विपक्ष के साथ वार्ता के लिए भेजा गया। 67 वर्षीय राजनाथ ने लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और एतिहासिक जीत हासिल की।
शहीदों के शवों को कंधा देने वाले रक्षामंत्री
14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले में शहीदों के ताबूत को कंधा देने वाली राजनाथ सिंह की तस्वीर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी थी। राजनाथ सिंह जो फिजिक्स के प्रोफेसर रहे हैं, साल 2013 में बीजेपी के अध्यक्ष थे। इसी वर्ष नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीवार घोषित किया गया। कहा जाता है कि राजनाथ सिंह ने लाल कृष्ण आडवाणी के विरोध के बाद मोदी की उम्मीदवारी को मजबूती से आगे बढ़ाया था। साल 2019 में लोकसभा चुनावों में राजनाथ सिंह, पीएम मोदी और अमित शाह के बाद तीसरे ऐसे नेता थे जिन्होंने प्रचार काफी समय खर्च किया।
यूपी के सीएम भी रहे
पूर्व गृहमंत्री और अब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह साल 2000 से 2002 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वाजपेयी सरकार में उन्हें परिवहन और कृषि मंत्रालय सौंपा गया था। वह दो बार बीजेपी के अध्यक्ष बने, पहले साल 2005 से 2009 तक और फिर 2013 से 2014 तक उन्होंने इसका जिम्मा संभाला। पिछले लोकसभा चुनाव में भी राजनाथ सिंह ने लखनऊ से चुनाव लड़ा और यहां पर उन्हें विशाल जीत हासिल हुई। साल 2009 में पहली बार उन्होंने लोकसभा चुनावों में अपनी किस्मत आजमाई थी। उस समय उन्होंने गाजियाबाद से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। सन् 1975 में सिंह 24 वर्ष की उम्र में जनसंघ से जुड़े और उन्हें जिला अध्यक्ष बनाया गया। सन् 1977 में उन्होंने मिर्जापुर से विधायक के लिए चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
फिर बने शिक्षा मंत्री
सन् 1984 में वह बीजेपी युवा मोर्चा के यूपी अध्यक्ष बने और 1986 में भी उन्होंने इसका जिम्मेदारी संभाली। साल 1988 में उन्हें युवा मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। साल 1988 में उन्हें विधान परिषद के लिए चुना गया। सन् 1991 में उन्हें यूपी के शिक्षा मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। बतौर शिक्षा मंत्री उन्हें एंटी-कॉपीइंग एक्ट लाने और वैदिक गणित को सेलेबस में शामिल करने का श्रेय दिया जाता है। सन् 1994 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया। 1997 में सिंह को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया।
वाजपेयी के ड्रीम प्रोजेक्ट को किया शुरू
1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें अपनी कैबिनेट में परिवहन मंत्रालय सौंपा। राजनाथ सिंह को उस समय पीएम वाजपेयी के ड्रीम प्रोजेक्ट स्वर्णिम चतुर्भुज को शुरुआत करने वाला मंत्री कहा जाता है। साल 2000 में वह यूपी के सीएम बने और दो बार बाराबंकी के हैदरगढ़ से जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2002 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। 24 मई 2003 को उन्हें कृषि मंत्रालय सौंपा गया। इसी दैरान राजनाथ ने किसान कॉल सेंटर जैसे प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी।