लोकसभा चुनाव 2019: राजमुंदरी लोकसभा सीट के बारे में जानिए
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नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश का राजमुंदरी गोदावरी नदी के किनारे बसा एक खूबसूरत शहर है। यहां की लोकसभा सीट से अभी तेलुगुदेशम पार्टी के मुरली मोहन मागंती सांसद हैं। 77 साल के मुरली मोहन ने 2014 को लोकसभा चुनाव में वायएसआर कांग्रेस के बोड्डू वेंकटरमन को एक लाख 67 हजार वोटों से शिकस्त दी थी। मुरली मोहन मागंती की लोकसभा में हाजिरी 86 फीसदी रही है और वो 55 डिबेट में हिस्सा ले चुके हैं। वो लोकसभा में अभी तक 247 सवाल पूछ चुके हैं।
राजमुंदरी सीट की आबादी 19,03,184 है। जिसमें 14,21,288 मतदाता हैं। यहां की आबादी में 70 फीसदी ग्रामीण और 30 प्रतिशत शहरी आबादी है। सीट पर 20.49 फीसदी एससी आबादी भी है। 2014 में यहां 81 फीसदी मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल करते हुए कुल 11,54,381 लोगों ने वोट डाला था।
इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। कांग्रेस ने नौ बार ये सीट जीती है। हालांकि 1984 के बाद यहां तेलुगुदेशम पार्टी और भाजपा ने भी लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है। 1952 में हुए पहले आम चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के नेल्ला रेड्डी नायडू ने यहां से चुनाव जीता था। इसके बाद 1957 से 1984 तक लगातार ये सीट कांग्रेस के पास रही। 1957 से 1967 तक तीन बार लेफ्टिनेंट कर्नल डीएस राजू यहां से जीते। 1971, 77 और 80 में कांग्रेस के एसबीपी पट्टाभी रामाराव इलेक्शन जीते।
1984 में यहां तेदेपा का खाता खुला। तेदेपा के टिकट पर यहां से चंद्रश्री हरिराव ने चुनाव जीता। 1989 में यहां से फिर कांग्रेस जीती तो 91 में फिर ये सीट तेदेपा के पास चली गई। 1996 में कांग्रेस ने सीट वापस झटक ली। 1998 में यहां भाजपा का खाता खुला और 99 में लगातार दूसरी बार भाजपा यहां से जीती। 2004 और 2009 में ये सीट कांग्रेस के पास रही और 2014 में तेदेपा के मुरली मोहन ने यहां से चुनाव जीता।
राजमुंदरी शहर को आंध्र प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है। शहर को 11 वींर 11 शताब्दी के चालुक्य शासनकाल के दौरान बसा माना जाता है। यहां प्राचीन समय के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। मंदिरों के साथ-साथ यहां के पहाड़ और कुदरती खूबसूरती भी लोगों को अपनी ओर खींचती है। यही वजह है कि हर साल लाखों श्रद्धालु तो यहां के मंदिरों में दर्शन करने पहुंचते ही हैं, बड़ी ताददा में लोग घूमने और पिकनिक मनाने भी यहां पहुंचते हैं।