लोकसभा चुनाव 2019: कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की कोलकाता दक्षिण लोकसभा सीट से सांसद तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुब्रत बख्शी हैं। साल 2014 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के सुब्रत बख्शी ने तथागत रॉय को 136,339 वोटो से हराया था। तृणमूल कांग्रेस के सुब्रत बख्शी को इस चुनाव में कुल 431,715 वोट और भाजपा के तथागत रॉय को 295,376 वोट मिले। कोलकाता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र में 2014 में 1,685,296 मतदाता थे । जिनमें पुरुष की संख्या 890,251 और महिला मतदाताओं की संख्या 795,045 थी । 2014 लोकसभा चुनाव में 627,205 पुरुष और 540,774 महिला मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और कुल 1,167,979 लोगों ने वोट डाले। मतदान 69 प्रतिशत रहा । 68 वर्षीय सुब्रत साइंस और लॉ ग्रेजुएट हैं । उन्होंने दिसंबर 2018 तक सदन में हुई चर्चा में सक्रियता दिखाई। कोलकाता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र की कुल जनसँख्या 2014 में 1,972,769 थी । इसमें 1.52% ग्रामीण और 98.48% शहरी आबादी है। यहाँ अनुसूचित जाति की आबादी 5 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति कि आबादी 0.3 प्रतिशत है।
कोलकाता दक्षिण लोकसभा क्षेत्र से ही ममता बनर्जी का राजनीतिक करियर परवान चढ़ा। पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री और राजनैतिक दल तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी को उनके समर्थक दीदी (बड़ी बहन) के नाम से संबोधित करते हैं। 5 जनवरी 1955 को कोलकाता में जन्म लेने वाली ममता केंद्र में दो बार रेल मंत्री रह चुकी हैं। उन्हें देश की पहली महिला रेल मंत्री बनने का गौरव प्राप्त है। 2011 में उन्होंने पश्चिम बंगाल में 34 वर्षों से सत्ता पर काबिज वामपंथी मोर्चे का सफाया किया। 1991 चुनाव में ममता बनर्जी ने कोलकाता दक्षिण संसदीय सीट से जीत हासिल की । दक्षिणी कोलकाता लोकसभा सीट से सीपीएम के बिप्लव दासगुप्ता को पराजित करने के बाद वह 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में इसी सीट से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुईं । अप्रैल 1996-97 में उन्होंने कांग्रेस पर बंगाल में सीपीएम की कठपुतली होने का आरोप लगाया और 1997 में कांग्रेस से अलग हो गईं । इसके अगले ही साल 1 जनवरी 1998 को उन्होंने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस बनाई । वह पार्टी की अध्यक्ष बनीं ।
कोलकाता दक्षिण सीट ममता बनर्जी की कर्मभूमि है। इस इलाके में तृणमूल कांग्रेस की तूती बोलती है । यह भी कह सकते हैं की यह लोकसभा सीट दीदी का सबसे मजबूत गढ़ है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने से पहले ममता बनर्जी यहां से 4 बार सांसद रह चुकी हैं। यह वही इलाका है जहां ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने सीपीएम को बहुत पहले ही हाशिये पर ला दिया था । अब बीजेपी ने दीदी के सबसे मजबूत इलाके में उन्हें ललकारा है। इस सीट पर बीजेपी की भी नजर है क्योंकि यहां पर शहरी मतदाता अधिक हैं। ऐसा लगता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में रण भीषण होगा। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और एनी नेता ममता बनर्जी के गढ़ बंगाल में घूम घूमकर गरज रहे हैं। ममता बनर्जी भी इस चुनौती पर पलटवार कर रहीं हैं। रविवार 3 फरवरी को कोलकाता में सीबीआई टीम के साथ जो हुआ उसे इसी राजनीतिक दांवपेंच का नतीजा माना जा रहा है। दरअसल 2014 में उत्तर और पश्चिम भारत में अपनी पार्टी का परचम लहराने के बाद इस भाजपा ने 2019 आम चुनाव से पहले अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपने विस्तार करने की रणनीति अपनाई है। क्योंकि हिंदी पट्टी में होने वाले नुकसान से आशंकित बीजेपी इसकी भरपाई पूर्व और पूर्वोत्तर भारत क्षेत्र से करना चाहती है।
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