लोकसभा चुनाव 2019: झारग्राम लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की झारग्राम लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद तृणमूल कांग्रेस की डा. उमा सरीन सांसद हैं। तृणमूल कांग्रेस की युवा नेत्रियों में से एक डा. सरीन पेशे से चिकित्सक हैं। डा. सरीन को साल 2014 के चुनाव में कुल 674,504 वोट मिले। उन्होंने सीपीएम के डा. पुलिन बिहारी बस्के को 347,883 वोटों के अंतर से हराया। इस चुनाव में कुल 1,257,613 लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया। इस सीट पर करीब 85 फीसदी मतदान हुआ। इस संसदीय क्षेत्र की कुल आबादी 2,135,425 है, जिनमें से 94.73% लोग ग्रामीण क्षेत्रों में औरे 5.27% लोग शहरी इलाकों में रहते हैं। बात अगर मतदाता सूची की करें तो 2014 में मतदाता सूची में 1,475,112 लोगों का नाम था। जिनमें 753,840 पुरुष और 721,272 महिलाएं शामिल थीं।
डा. सरीन ने संसद में पहुंचने के बाद बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। उन्होंने मई 2014 से दिसंबर 2018 तक न तो एक भी सवाल सदन में किया और न ही एक भी बहस में हिस्सा लिया। यानी कि सदन में वो पूरी तरह शांत रहीं। जबकि इस दौरान बंगाल के अन्य सांसदों का औसत प्रश्न पूछने के मामले में 88 प्रश्नों का रहा। और राष्ट्रीय औसत 273 प्रश्न। और तो और डा. उमा सरीन ने मात्र 61 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की। लेकिन उन्होंने सांसद निधि में आवंटित 25 करोड़ रुपए का भरपूर इस्तेमाल किया। फरवरी 2019 तक उनकी सांसद निधि में मात्र 1 लाख रुपए बचे। इस बीच केंद्र में उमा सरीन ने केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स की स्थाई समिति और आदिवासी मामलों के मंत्रालय की सलाहकार समिति की सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।
अब अगर इतिहास के झरोखे में देखें तो 1962 में यह सीट अपने अस्तित्व में आयी। शुरुआत कांग्रेस से हुई, लेकिन आगे चलकर लेफ्ट ने पूरी तरह मानो इस सीट पर कब्जा कर लिया। 1977 से लेकर 2014 तक यह सीट सीपीआईएम के पास रही। इस दौरान रूपचंद मुर्मू सबसे लंबे समय तक सांसद रहे। उनकी पारी पहले कार्यकाल 1991 में शुरू हुई जो 2009 में पांचवें कार्यकाल के साथ समाप्त हुई। खास बात यह है कि साल 2014 के चुनाव में डा. उमा सरीन के खाते में 54.60 फीसदी वोट गये, जबकि सीपीआईएम के डा. पुलिन बिहारी का वोट प्रतिशत मात्र 26.5 पर सिमट गया। हालांकि भाजपा के बिकाश मूडी तीसरे नंबर पर रहे। अब देखना यह है कि यहां की जनता किसे चुनती है। वैसे इसमें कोई शक नहीं कि सीपीआईएम और भाजपा दोनों ही यहां पर पुरजोर कोशिशें करेंगी। लेकिन सफलता उसी को मिलेगी, जो जनता का विश्वास जीतने में सफल होगा।
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