लोकसभा चुनाव 2019: बारामती लोकसभा सीट के बारे में जानिए
नई दिल्ली: महाराष्ट्र की वीआईपी सीट बारामती से एनसपी प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले मौजूदा सांसद हैं। उन्होंने साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर RSP के नेता महादेव झनकर को 69, 719 वोटों से हराया था। सुप्रिया सुले को 512, 562 वोट मिले थे, तो वहीं महादेव झनकर को 451, 843 वोटों पर संतोष करना पड़ा था। साल 2014 के चुनाव में इस सीट पर नंबर 2 पर राष्ट्रीय समाज पक्ष, नंबर 3 पर आप थी। उस साल यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 18,13,543 थी, जिसमें से मात्र 10,66,556 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था, जिसमें पुरुषों की संख्या 6,02,604 और महिलाओं की संख्या 4,63,952 थी।
महाराष्ट्र की बारामती संसदीय सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रभुत्व को तोड़ा आसान नहीं है। इस क्षेत्र से पवार परिवार का नाता बहुत पुराना है और इसी की बदौलत सुप्रिया सुले को यहां से लगातार दूसरी बार जीत नसीब हुई थी । हालांकि अन्य राजनीतिक दलों ने सुप्रिया के खिलाफ मजबूत उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। भारतीय जनता पार्टी और शिव सेना ने जहां राष्ट्रीय समाज पक्ष (आरएसपी) के महादेव झनकर को बारामती के रण में उतारा था तो ,वहीं आम आदमी पार्टी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी सुरेश खोपाड़े को टिकट दिया था लेकिन बारामती की जनता ने सबको नकार दिया और मोदी लहर में भी यह सीट एनसीपी के पास ही बरकरार रही।
इस सीट से पवार परिवार का कोई भी व्यक्ति कभी भी नहीं हारा है। शरद पवार यहां से छह बार, उनके भाई अजित पवार ने वर्ष 1991 और बेटी सुप्रिया सुले ने दो बार यहां से चुनाव जीता है। बारामती में छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं, साल 1951 से लेकर 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का राज रहा था, साल 1977 का चुनाव यहां पर भारतीय लोकदल ने जीता था, 1980 में यह सीट कांग्रेस के पास रही थी तो वहीं 1984 में पहली बार शरद पवार इंडियन कांग्रेस सोशलिस्ट के टिकट पर जीतकर यहां से लोकसभा पहुंचे थे, हालांकि इसके एक साल बाद ही यहां पर उपचुनाव हुए जिसे कि जनता पार्टी ने जीता था। 1989 में यहां पर कांग्रेस की वापसी हुई और 1991 में अजीत पवार यहां के सांसद बने, साल 1996 के चुनाव में शरद पवार कांग्रेस के टिकट पर यहां विजयी हुए और इसके बाद वो साल 2004 तक लगातार 5 बार इस सीट से सांसद चुने गए, हालांकि 1998 से वो एनसीपी पार्टी के टिकट पर यहां से जीत रहे हैं, साल 2009 का चुनाव यहां पर उनकी बेटी सु्प्रिया सुले ने एनसीपी के टिकट पर जीता और तब से लेकर अब तक वो इस सीट पर सांसद हैं।
सुप्रिया सुले का लोकसभा में प्रदर्शन
सुप्रिया सुले 2006 में पहली बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुई थीं। राजनीतिज्ञ होने के अतिरिक्त वह पब्लिक चेरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष भी हैं और कई सामाजिक संस्थाओं जैसे एनएबी विमन काउंसिल, नेहरू सेंटर , इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑन नोमेडिक एंड डि-नोटेड ट्राइब्स की वो मेंबर भी हैं। दिसंबर 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 5 सालों के दौरान लोकसभा में उनकी उपस्थिति 96 प्रतिशत रही है और इस दौरान उन्होंने 119 डिबेट में हिस्सा लिया है 1078 प्रश्व पूछे हैं। मोदी लहर में भी बारामती की सीट एनसीपी के पास बरकरार रहना ये साबित करता है कि यहां पर नेशनल कांग्रेस पार्टी के किले के गिराना आसान नहीं है लेकिन राजनीति में कोई भी चीज स्थाई नहीं होती है, यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है इसलिए देखते हैं इस बार भी यहां एनसीपी की सत्ता बरकरार रहती है या फिर कुछ चौंकाने वाले नतीजों से हम रूबरू होते हैं।
ये भी पढ़ें :- लोकसभा चुनाव 2019 : पुणे लोकसभा सीट के बारे में जानिए