महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर बोले UPA के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा, 'खतरनाक है सत्ता के लिए भूख'
महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक घटनाक्रम पर बोले UPA के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा, 'खतरनाक है सत्ता के लिए भूख'
नई दिल्ली, 02 जुलाई: राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा शुक्रवार 1 जुलाई को रायपुर पहुंचे। यहां उन्होंने महाराष्ट्र में हुए राजनीतिक घटना क्रम को 'सत्ता की खतरनाक भूख' बताया। इतना ही नहीं, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर भी तीखा हमला बोला। सिन्हा ने कहा कि आज देश मे चारों तरफ अशांति का वातावरण है। इसके बीच एक विचारधारा है, जो लोगो को बांट कर रखना चाहती है। सरकार खुद ही इसे बढ़ावा देती है।
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राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा शुक्रवार को रायपुर में मीडिया से मुखातिब हुए। इस दौरान उन्होंने कहा, 'आपने देखा है कि महाराष्ट्र में क्या हुआ। क्या यह हमारे लोकतंत्र के महत्व को बढ़ाया है?' सिन्हा ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा, "केंद्र की सरकार एकीकरण की राजनीति में विश्वास नहीं करती, बल्कि टकराव की राजनीति में लिप्त है।"
सिन्हा ने देश में सांप्रदायिक हिंसा की हालिया घटनाओं पर भी विस्तार से बात की। उन्होंने कहा, 'आज देश मे चारों तरफ अशांति का वातावरण है। इसके बीच एक विचारधारा है, जो लोगो को बांट कर रखना चाहती है। सरकार खुद ही इसे बढ़ावा देती है। राष्ट्रपति का एक अधिकार है, वह सरकार को मशविरा दे सकते हैं, लेकिन वह प्रधानमंत्री की कठपुतली है, तो वह काम नहीं कर सकता है।'
देश को खामोश राष्ट्रपति नहीं, बल्कि ऐसे राष्ट्रपति की जरूरत है, जो अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन करे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का पद अत्यंत गरिमा का पद है। मीडिया से बात करते हुए सिन्हा ने कहा, 'राष्ट्रपति का पद एक सम्मानजनक पद है। संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के कुछ कर्तव्य हैं, जिनका निर्वहन किया जाना चाहिए। हमने इतिहास में देखा है कि कुछ राष्ट्रपतियों ने पद का सम्मान किया है जबकि कुछ चुप रहे और निर्वहन करने में ज्यादा सफल नहीं हो सके।'
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इस दौरान सिन्हा ने रायपुर में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा, 'यह संख्या बल कि नहीं विचारधारा की लड़ाई है।' उन्होंने केंद्र की एनडीए सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह सरकार सरकारी एजेंसियों के गलत इस्तेमाल का नंगा नाच कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि यह बेहद ही चिंता का विषय है कि आप अपने प्रतिद्वंद्वियों की आवाज़ दबाने के लिए शासकीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रहे हैं।