प्रकाश करात बोले, अगर 10 और राज्य कर दें मना तो दफन हो जाएगा NPR
नई दिल्ली। सीपीआई (एम) नेता प्रकाश करात ने कहा है कि केंद्र की ओर से लाए जा रहे राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का राज्य सरकारों को सख्त विरोध करना चाहिए। गुरुवार को उन्होंने कहा, केरल और पश्चिम बंगाल ने इसे लागू करने से मना कर दिया है। केरल और पश्चिम बंगाल अगर अपने वादे पर टिके रहे और इनकी तरह 10 और राज्यों के मुख्यमंत्री एनपीआर के खिलाफ हो जाएं तो केंद्र की ये योजना अभी दफन हो जाएगी।
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एनआरसी, सीएए, एनपीआर सब एक
चेन्नई में नागरिकता कानून में संशोधन के विरोध में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए करात ने कहा कि नागरिकता कानून, एनपीआर, एनआरसी ये सब एक ही हैं। इन्हें अलग-अलग नहीं किया जा सकता है। ये तीनों एक ही कार्यक्रम के हिस्से हैं।
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मोदी सरकार का संविधान पर तीहरा प्रहार
प्रकाश करात ने कहा कि सीएए, एनआरसी, एनआरपी के जरिए नरेंद्र मोदी सरकार संविधान पर तीहरा प्रहार कर रही है। नागरिकता संशोधन कानून पहलेा, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर दूसरा और राष्ट्रीय नागरिक पंजी तीसरा है। तीनों एक ही पैकेज के हैं और इन्हें अलग-अलग नहीं किया जा सकता है। करात ने कहा कि नागरिकता कानून के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन के चलते भाजपा कह रही है कि इन तीनों का आपस में ताल्लुक नहीं, जबकि हकीकत ये है कि तीनों एक ही हैं।
सरकार का दावा एनपीआर और एनआरसी अलग
केंद्र सरकार ने मंगलवार को ही नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर यानी एनपीआर को मंजूरी दी है। एनपीआर के तहत नागरिकों का डेटाबेस तैयार होना है। एक अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक देशभर में घर-घर जाकर आंकड़े जुटाए जाएंगे। इसका विरोध कर रहे लोगों, संगठनों का कहना है कि ये देशभर में एनआरसी लाने का पहला कदम है। सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि एनपीआर का एनआरआईसी से कोई ताल्लुक नहीं है। दोनों के नियम अलग हैं. एनपीआर के डेटा का इस्तेमाल एनआरसी के लिए हो ही नहीं सकता।
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