जानिए कौन हैं जिग्नेश मेवाणी, गुजरात की राजनीति में क्यों हैं अहम
नई दिल्ली। इस समय गुजरात के दलित आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा जिग्नेश मेवाणी हैं। मेहसाणा जिले में जन्मे जिग्नेश 'आजादी कूच आंदोलन' चला चुके हैं। जिसमें उन्होंने लगभग 20 हजार दलितों को एक साथ मरे जानवर न उठाने और मैला न ढोने की शपथ दिलाई थी। पेशे से पत्रकार और वकील जिग्नेश एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं।
11 दिसंबर 1980 में गुजरात के मेहसाना में जन्मे मेवाणी इन दिनों मेघानीनगर में रह रहे हैं. यह अहमदाबाद का दलित बहुल इलाक़ा है। उनके पिता नगर निगम के कर्मचारी थे और अब रिटायर हो चुके हैं। महात्मा गांधी की 'दांडी यात्रा' से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने दलितों की यात्रा का आयोजन किया और उसे नाम दिया दलित अस्मिता यात्रा।
ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट मुकुल सिन्हा के 'जन संघर्ष मंच' को भी जिग्नेश ने ज्वाइन किया था। इस दौरान उन्होंने दंगा पीड़ितों और वर्कर यूनियन के लिए लड़ाई लड़ी। बाद में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता बने। राज्य में दलितों का वोट प्रतिशत करीब सात फीसदी है। जिग्नेश दलित आंदोलन के दौरान एक काफी पॉपुलर नारा दिया था। 'गाय की पूंछ तुम रखो हमें हमारी जमीन दो'
34 साल के जिग्नेश मवाणी धाराप्रवाह अंग्रेज़ी, गुजराती और हिंदी तीनों भाषाओं में बात करते हैं। अभी शायद ही कोई नेता गुजरात में हो जो तीनों भाषाओं में इतनी अच्छी पकड़ रखता हो। जिग्नेश ने मॉस कम्युनिकेशन और कानून की पढ़ाई की है। वे पत्रकार भी रह चुके हैं, उन्होंने मुंबई के एक अखबार में नौकरी भी की है। पेशे से वकील जिग्नेश साहित्य में भी विशेष रुचि रखते हैं। उन्होंने दिल्ली में जेएनयू के छात्रों के संघर्ष में भी शिरकत की है।
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