दिग्गज नेता पर लगा काला धन रखने का आरोप, दिल्ली HC ने एमएजी को दिए जांच के आदेश
नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को एक राजनेता और उनके कुछ सहयोगियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और काले धन की शिकायतों की जांच करने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने 'बहामास लीक' और 'पनामा पेपर्स लीक' नाम की कंपनियों और व्यक्तियों की जांच के लिए 2016 में गठित मल्टी एजेंसी ग्रुप (एमएजी) को राजनेता के खिलाफ जांच करने का आदेश दिया है। शिकायत में राजनेता के विभिन्न देशों में सैंकड़ों ऑफशोर कंपनी और व्यक्तियों से उनके संबंध होने का दावा किया गया है।
न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने दिए जांच के आदेश
बता दें कि, पनामा पेपर लीक मामला सामने आने के बाद केंद्र सरकार द्वारा एमएजी को वर्ष 2016 गठित किया गया था। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने एमएजी अधिकारियों से याचिका में लगाए गए आरोपों की जांच करने को कहा है। पीठ ने द्वारा शुक्रवार को याचिका में लगाए गए आरोपों की जांच करने के लिए एमएजी को जांच करने के लिए निर्देश जारी किया गया है, साथ ही इस मामले में जल्द से जल्द रिपोर्ट जमा करने के लिए भी कहा गया है।
Delhi HC directs the Multi Agency Group to probe money laundering and black money complaints against a politician&some of his associates. Centre in 2016 set up Multi Agency Group to investigate the role of the companies&individuals named in 'Bahamas leaks'&'Panama papers leaks'
— ANI (@ANI) February 7, 2020
भूपेंद्र सिंह पटेल ने पिछले साल दायर की थी याचिका
बता दें, दिल्ली हाई कोर्ट में यह याचिका भूपेंद्र सिंह पटेल ने पिछले साल जनवरी में दायर की थी, इसमें राजनेता, उनकी कुछ कंपनियों और सहयोगियों के खिलाफ शिकायत की गई है। हालांकि जिस राजनेता के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और काले धन की शिकायत मिली है उनका नाम सामने नहीं आया है लेकिन अगर जांच में आरोप सही साबित होते हैं तो उनकी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। राजनेता और उनके कुछ सहयोगियों यह भी आरोप है कि कथित तौर पर 'बहामास लीक' में नामित कंपनियों से धन प्राप्त हुआ था।
राजनेता पर लगाया गंभीर आरोप
अपनी याचिका में भूपेंद्र सिंह पटेल ने कहा कि राजनेताओं की कंपनियों को लीक में नामित कुछ बहामियन शेल कंपनियों से लगभग 18 करोड़ रुपये मिले। उन्होंने एमएजी और केंद्र सरकार द्वारा बहमास में शामिल कुछ शेल कंपनियों द्वारा भारतीय संस्थाओं में किए गए 'संदिग्ध निवेश' पर कार्रवाई करने और लीक में खुलासा करने पर 'जानबूझकर निष्क्रियता' का आरोप लगाया है।
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