PM Security Breach: 27 पूर्व IPS अफसरों ने राष्ट्रपति से कहा- 'जानबूझकर और योजनाबद्ध सुरक्षा चूक'
नई दिल्ली, 6 जनवरी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में बुधवार को पंजाब में हुई चूक को लेकर 27 पूर्व आईपीएस अधिकारियों ने गुरुवार का राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को चिट्टी लिखकर इसपर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। पूर्व आईपीएस अधिकारियों की ओर से इसे राज्य सरकार की ओर से प्रदर्शनकारियों के साथ साठगांठ करके 'जानबूझकर और योजनाबद्ध सुरक्षा चूक' करार दिया गया है। इस खत में पूर्व पुलिस अधिकारियों ने इस देश के इतिहास में अत्यंत ही गंभीर सुरक्षा चूक बताया है। गौरतलब है कि बुधवार को पीएम मोदी जब पंजाब दौरे पर थे तो उनके काफिले को एक फ्लाईओवर पर 15-20 मिनट तक रोक दिया गया था, क्योंकि आगे कथित किसान प्रदर्शनकारी रास्ता रोककर बैठे हुए थे।
'साजिश और साठगांठ के साथ सुरक्षा में चूक'
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पीएम मोदी की सुरक्षा में हुई चूक पर लिखी अपनी चिट्ठी में पुलिस के इन 27 पूर्व वरिष्ठ अधिकारयों ने लिखा है कि 'साजिश और साठगांठ के साथ की गई इस देश के इतिहास की सबसे गंभीर सुरक्षा चूकों में से एक' था। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री के रास्ते को प्रदर्शनकारियों की ओर से रोकना 'सिर्फ सुरक्षा में चूक नहीं थी, बल्कि (उन्हें) शर्मिंदा करने और नुकसान पहुंचाने के लिए प्रदेश की मशीनरी का तथाकथित प्रदर्शनकारियों के साथ खुल्लम-खुल्ला मिलीभगत का शर्मनाक प्रदर्शन था।'
'देश में लोकतंत्र के लिए खतरा'
इस चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले 27 वरिष्ठ और पूर्व पुलिस अधिकारियों में पंजाब के पूर्व डीजीपी पीसी डोगरा और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी प्रवीण दीक्षित भी शामिल हैं। पूर्व पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घटना की गंभीरता और इसके राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव ने उन्हें राष्ट्रपति कोविंद से उचित कार्रवाई के लिए संपर्क करने को बाध्य किया है। चिट्टी में इन अफसरों ने लिखा है, 'एक फ्लाईओवर पर प्रधानमंत्री के काफिले को 15 से 20 मिनट तक योजनाबद्ध तरीके से रोकना, पंजाब की खराब कानून और व्यवस्था को दर्शाता है और हमारे देश में लोकतंत्र के लिए खतरा है।'
'पीएम को सुरक्षित मार्ग देने के लिए प्राथमिक तौर पर पंजाब पुलिस जिम्मेदार'
इनका कहना है कि प्रदेश में पीएम मोदी की यात्रा और सुरक्षा और स्थापित प्रोटोकॉल के तहत सभी मार्गों से सुरक्षित रास्ता उपलब्ध करवाने के लिए प्राथमिक तौर पर पंजाब पुलिस जिम्मेदार थी। उन्होंने राष्ट्रपति से कहा है, 'हम आपसे इसलिए संपर्क कर रहे हैं कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि राज्य की एजेंसियां कोई न कोई बहाना बना रही हैं और मुख्यमंत्री के स्तर पर भी प्रधानमंत्री के मार्ग को लेकर विरोधाभासी बयान हैं।' इनका कहना है कि यह समझ से बाहर है कि प्रदर्शनकारियों को प्रधानमंत्री के मार्ग की जानकारी कैसे मिली, जबकि यह सूचना तो सिर्फ राज्य के पुलिस अधिकारियों के साथ साझा की गई थी।
'पंजाब सरकार का रवैया गैर-जिम्मेदाराना'
मीडिया रिपोर्ट के हवाले से इन्होंने आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश करने की जगह पुलिस वाले चाय पी रहे थे, जिससे उनके इरादे का पता चलता है। उन्होंने बिना नाम लिए कांग्रेस की ओर इशारा करके लिखा है कि एक खास पार्टी के विभिन्न वेरिफाइड ट्विटर अकाउंट से किए गए कुछ खास ट्वीट से पंजाब सरकार का इरादा और गैर-जिम्मेदाराना रवैया जाहिर होता है, जो कि चिंताजनक है और देश के लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
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तत्काल कार्रवाई करें राष्ट्रपति- पूर्व आईपीएस अधिकारी
इन पूर्व अफसरों ने पंजाब के एक बॉर्डर स्टेट होने, पड़ोसी देश से प्रायोजित आतंकवाद की घटनाओं और आने वाले विधासभा चुनावों के मद्देनजर राज्य की सुरक्षा का हवाला देकर राष्ट्रपति से गुजारिश की है कि, 'हम, पूर्व पुलिस अधिकारी महामहिम से अनुरोध करते हैं कि इस मामले में जो कि गंभीर रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और एक सीमावर्ती राज्य जहां कुछ महीनों में चुनाव होने हैं, वहां की कानून-व्यवस्था जो की प्रदेश की जिम्मेदारी है, को लेकर तत्काल कार्रवाई करें। '