लोकलुभावन नहीं होगा आम बजट 2018, पीएम मोदी ने दिए साफ संकेत
प्रधानमंत्री ने बातचीत के दौरान अपनी सरकार की आर्थिक नीतियों का जोरदार बचाव किया। जीएसटी के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार माल एवं सेवा कर में संसोधन के सुझाव पर अमल के लिए तैयार है ताकि इसे अधिक कारगर प्रणाली बनाया जा सके और इसकी खामियां दूर हो
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ संकेत दिए हैं कि आगामी आम बजट लोगों को खुश करने वाला नहीं होगा। सरकार सुधारों के अपने एजेंडे पर काम करती रहेगी। नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आम बजट लोकलुभावन नहीं होगा। बजट में देश के आर्थिक विकास के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे। पीएम मोदी ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 'पांच प्रमुख' कमजोर अर्थव्यवस्थाओं की जमात से निकलकर दुनिया का 'आकर्षक गंतव्य' बन गया है। पीएम मोदी ने कहा कि यह मात्र एक धारणा है कि लोग मुफ्त की चीजें और छूट चाहते हैं।
'लोगों को खुश करने वाला नहीं होगा बजट'
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह पूछा गया कि पहली फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट में क्या वह लोकलुभावन घोषणा करने से बचेंगे। इस पर उन्होंने कहा, तय यह करना है कि देश को आगे बढ़ने और मजबूत होने की जरुरत है या इसे 'इस राजनैतिक संस्कृति-कांग्रेस की संस्कृति का अनुसरण करना है।' मोदी ने कहा कि आम जनता ईमानदार सरकार चाहती है। 'आम आदमी छूट या मुफ्त की चीज नहीं चाहता है'
पीएम ने आर्थिक नीतियों का जोरदार बचाव किया
प्रधानमंत्री ने बातचीत के दौरान अपनी सरकार की आर्थिक नीतियों का जोरदार बचाव किया। जीएसटी के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार माल एवं सेवा कर में संसोधन के सुझाव पर अमल के लिए तैयार है ताकि इसे अधिक कारगर प्रणाली बनाया जा सके और इसकी खामियां दूर हो। स्विट्जरलैंड के दावोस में होने वाली विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की शिखर बैठक के पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करने का अवसर पाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री का सम्मान पाने के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा कि यह भारत की प्रगति के कारण संभंव हुआ है।
वित्त मंत्री के काम में दखल नहीं देंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को संकेत दिया कि आगामी बजट लोकलुभावन नहीं होगा। साथ ही कहा कि यह मुद्दा वित्त मंत्री के अधिकार क्षेत्र में आता है और वह इसमें दखल नहीं देना चाहते। कृषि क्षेत्र में संकट पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आलोचना न्यायसंगत है और सरकार इससे इन्कार नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि यह केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे किसानों की समस्याओं की पहचान कर समाधान करें।
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