डोकलाम विवाद के बाद पहली बार भारत आए चीन के रक्षा मंत्री, पीएम मोदी ने कहा विवाद में नहीं बदलने चाहिए मतभेद
नई दिल्ली। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगे से मुलाकात की। पीएम मोदी और चीनी रक्षा मंत्री ने इस मुलाकात में भारत और चीन के बीच मिलिट्री और रक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की। पीएम मोदी ने भारत और चीन के बीच संपर्क के एक नए स्तर पर पहुंचने की तारीफ की। साथ ही उन्होंने कहा दोनों देशों के बीच संबंध दुनिया में स्थिरता की अहम वजह रहे हैं। पिछले वर्ष जून में दोनों देशों के बीच डोकलाम विवाद के बाद यह पहला मौका है जब चीन के रक्षा मंत्री भारत के दौरे पर आए हैं। जनरल फेंगे ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मुलाकात करने वाले हैं। दिलचस्प बात है कि जनरल वेई से मुलाकात से एक ही दिन पहले पीएम मोदी ने चीन के प्रतिद्वंदी जापान के रक्षा मंत्री इत्सुनोरी ओनोद्रा से भी मुलाकात की थी।
चार दिनों के दौरे पर हैं चीनी रक्षा मंत्री
चीनी रक्षा मंत्री वेई चार दिनों के भारत दौरे पर हैं और उनके दौरे का मकसद दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर करना है। पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस वर्ष वुहान में हुई मुलाकात में जनरल फेंगे की भारत यात्रा पर रजामंदी बनी थी। चीन के वुहान में हुई मुलाकात में दोनों नेता डोकलाम के विवाद को भूलकर आगे बढ़ने पर राजी हुए थे। साथ ही जिनपिंग और मोदी ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच संपर्क को बढ़ाने और भरोसे को बढ़ाने की कोशिशों पर सहमति जताई थी।
सीमा पर स्थिरता काफी जरूरी
चीन
के
रक्षा
मंत्री
के
साथ
मुलाकात
में
पीएम
मोदी
ने
कहा
कि
चीन
और
भारत
दोनों
के
बीच
मतभेद,
किसी
तरह
के
विवाद
में
परिवर्तित
नहीं
होने
चाहिए।
इसके
अलावा
पीएम
मोदी
ने
सीमा
पर
स्थित
संवेदनशील
इलाकों
में
शांति
स्थिरता
पर
भी
जोर
दिया।
वेई
बुधवार
को
रक्षा
मंत्री
निर्मला
सीतारमण
से
मुलाकात
करेंगे।
दोनों
देशों
के
रक्षा
मंत्रियों
के
बीच
इस
वर्ष
यह
दूसरी
मुलाकात
होगी।
फेंगे
ने
इस
वर्ष
अप्रैल
में
सीतारमण
से
शंघाई
को-ऑपरेशन
ऑर्गनाइजेशन
(एससीओ)
के
देशों
के
रक्षा
मंत्रियों
के
सम्मेलन
में
मुलाकात
की
थी।
सैनिकों पर पड़ेगा सकारात्मक असर
वेई के इस दौरे पर किसी भी तरह का कोई समझौता नहीं होगा। इस दौरे पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच उच्च स्तर पर संपर्कों को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा। माना जा रहा है कि इससे भारत और चीन की 3,488 किलोमीटर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तैनात सैनिकों के बीच सकारात्मक संदेश जाएगा।