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क्‍या है किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्‍ट जिसका आज उद्घाटन करेंगे पीएम मोदी, क्‍यों है पाकिस्‍तान को इससे समस्‍या

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जम्‍मू कश्‍मीर के दौरे पर हैं। पीएम मोदी यहां पर कई प्रोजेक्‍ट्स का उद्घाटन करेंगे और इन्‍हीं प्रोजेक्‍ट्स में से एक है श्रीनगर स्थित किशनगंगा डैम प्रोजेक्‍ट, जिसका आज इनॉग्रेशन होना है। इस डैम प्रोजेक्‍ट पर पाकिस्‍तान हमेशा से ही आपत्ति दर्ज कराता रहा है।

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श्रीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज जम्‍मू कश्‍मीर के दौरे पर हैं। पीएम मोदी यहां पर कई प्रोजेक्‍ट्स का उद्घाटन करेंगे और इन्‍हीं प्रोजेक्‍ट्स में से एक है श्रीनगर स्थित किशनगंगा डैम प्रोजेक्‍ट, जिसका आज इनॉग्रेशन होना है। इस डैम प्रोजेक्‍ट पर पाकिस्‍तान हमेशा से ही आपत्ति दर्ज कराता रहा है और अब इस डैम के उद्घाटन से पाक में हलचल मची हुई है। पाकिस्‍तान का मानना है कि भारत का यह कदम सिंधु जल समझौते का उल्‍लंघन है। शुक्रवार को पाकिस्‍तान की ओर से इस पर एक बयान भी जारी किया गया है।

पाकिस्‍तान में नीलम नदी बन जाती किशनगंगा

पाकिस्‍तान में नीलम नदी बन जाती किशनगंगा

पाकिस्‍तान विदेश विभाग की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि यह उद्घाटन बड़ी चिंता का विषय है और भारत ने विवाद को सुलझाए बिना ही यह फैसला ले लिया है। पाक की मानें तो भारत ने ऐसा करके समझौते को तोड़ा है। श्रीनगर में बना यह बांध नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी) का वेंचर है। इस बांध की वजह से जम्‍मू कश्‍मीर को मु्फ्त बिजली का 13 प्रतिशत हिस्‍सा मिलेगा। 330 में वाला किशनगंगा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्‍ट नॉर्थ कश्‍मीर के बांदीपोर जिले में बहने वाली किशनगंगा नदी पर बना है। पाकिस्‍तान की तरफ जाते-जाते इस नदी को नीलम नदी के नाम से बुलाया जाने लगता है।

कोर्ट ने दी थी भारत को मंजूरी

कोर्ट ने दी थी भारत को मंजूरी

इस प्रोजेक्‍ट के लिए भारत के पास पश्चिमी नदियों झेलम, चेनाब और सिंधु की धारा मोड़ने का अधिकार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रैशन की ओर से मिला हुआ है। भारत को नदियों के गैर- विनाशकारी प्रयोग के लिए कोर्ट की ओर से यह अधिकार दिया गया था। किशनगंगा नदी, झेलम का ही हिस्‍सा है। यह बांध जम्‍मू कश्‍मीर में बने एनएचपीसी के बाकी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्‍ट्स से काफी अलग है। यह प्रोजेक्‍ट रन ऑफ दी रीवर यानी आरओआर स्‍कीम का पहला प्रोजेक्‍ट है। इस स्‍कीम के तहत एक नदी के अंदर से ही सीमित पानी का प्रयोग हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्‍ट के लिए किया जाता है।

2010 में टल गया प्रोजेक्‍ट का काम

2010 में टल गया प्रोजेक्‍ट का काम

गुरेज घाटी से बांदीपोर के बोनार नाला तक यानी करीब 23.65 किलोमीटर की दूरी तक एक बड़ी सुरंग के जरिए नदी का पानी बहेगा। किशनगंगा तक टनल के लिए बोरिंग मशीन और दूसरी हैवी मशीनों का ट्रांसपोर्टेशन एक बड़ी चुनौती थी। इसके अलावा साल 2010 में घाटी में बड़े पैमाने पर जारी विरोध प्रदर्शनों और लगातार कर्फ्यू ने भी इस प्रोजेक्‍ट के रास्‍ते में कई रुकावटें पैदा कीं। इटली से जुलाई 2010 में उपकरण मुंबई पोर्ट पहुंचे और यहां से उन्‍हें किशनगंगा तक लेकर जाना था।

मौसम और पाकिस्‍तान सबसे बड़ी चुनौती

मौसम और पाकिस्‍तान सबसे बड़ी चुनौती

यह डैम गुरेज वैली में स्थित है और यह लाइन ऑफ कंट्रोल यानी एलओसी के एकदम करीब है और बांदीपोर से इसकी दूरी करीब 85 किलोमीटर है। पहले इसकी ऊंचाई 98 मीटर तय की गई थी लेकिन पाक के विरोध की वजह से इसे 37 मीटर कर दिया गया। यहां पर तापमान भारी बर्फबारी की वजह से नंवबर से अप्रैल के बीच -23 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। मौसम के अलावा लगातार पाकिस्‍तान की तरफ से होने वाली फायरिंग भी इस प्रोजेक्‍ट के लिए सबसे बड़ा खतरा है।

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English summary
PM Narendra Modi will be visiting Jammu Kashmir today and he will Kishanganga dam in Srinagar and Pakistan raises concern over it.
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