Pics: एयरफोर्स डे और आसमान के जांबाज़ परिंदे
नई दिल्ली। बुधवार को भारतीय वायुसेना अपना 82वां एयरफोर्स डे सेलिब्रेट करेगी। दुनिया की सबसे ताकवर सेनाओं में शुमार इंडियन एयरफोर्स ने आठ अक्टूबर 1932 से अपना आधिकारिक एयरफोर्स डे मनाना शुरू किया था।
उस समय एयरफोर्स को रॉयल एयरफोर्स के नाम से जानते थे क्योंकि तब तक देश आजाद नहीं हुआ था और यह ब्रिटिश साम्राज्य का ही हिस्सा था।
जानिए एयरफोर्स से जुड़ी कुछ खास बातें और देखिए गाजियाबाद स्थित हिंडन एयरबेस पर एयरफोर्स डे के मौके पर फुल ड्रेस रिहर्सल की खास तस्वीरें।
पाक के छुड़ाए हैं छक्के
इंडियन एयरफोर्स अब तक चीन के साथ 62 के युद्ध के साथ ही पाकिस्तान के साथ हुए चारों युद्धों में अपनी ताकत का परिचय दे चुकी है।
राष्ट्रपति होता है कमांडर इन चीफ
देश का राष्ट्रपति एयरफोर्स का कमांडर इन चीफ होता है।
दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना
170,000 पर्सनल की क्षमता और 1,400 एयरक्राफ्ट्स वाली इंडियन एयरफोर्स दुनिया की सबसे बड़ी वायुसेनाओं का हिस्सा है।
भारत की सुरक्षा में हर पल तैनात
एयरफोर्स की प्राथमिकताओं में भारतीय सीमाओं की रक्षा करना, देश को सभी खतरों से सुरक्षित रखने के साथ ही साथ प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रभावित इलाकों में सभी तरह की मदद मुहैया कराना है।
ताकि लोगों को पता लगे एयरफोर्स की अहमियत
इंडियन एयरफोर्स लोगों को वायुसेना के प्रति जागरुक करने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके इसकी अहमियत लोगों को बताने के लिए इतने बड़े स्तर पर एयरफोर्स डे को सेलिब्रेट करती है।
वर्ल्ड वॉर से लेकर कारगिल वॉर तक
इंडियन एयरफोर्स डे वर्ल्ड वॉर 2, 62 में चीन के साथ युद्ध के अलावा 61 में ऑपरेशन विजय, 47, 65 और फिर 71 में पाक के साथ हुए वॉर से लेकर 99 के कारगिल वॉर तक अपनी भूमिका को बखूबी अंजाम देती आई है।
नभ स्पृशं दीप्तम
इंडियन एयरफोर्स का मोटो यानी ध्येय वाक्य है, 'नभ स्पृशं दीप्तम,' यानी शान से आसमान को छूना।
कारगिल वॉर में दुनिया ने देखा जलवा
99 के कारगिल वॉर के बाद जिन लोगों को इंडियन एयरफोर्स पर जरा भी संदेह था, वह दूर हो गया जब एयरफोर्स ने हिमालय की 14,000 से लेकर 18,000 तक ऊंचाई वाली चोटियों पर मौजूद दुश्मन को भी नहीं छोड़ा था।
एयरफोर्स की स्पेशल कमांडो फोर्स
इंडियन एयरफोर्स की एक स्पेशल फोर्स यूनिट है जिसे गरुड़ कमांडो फोर्स कहते हैं। इसे वर्ष 2004 में तैयार किया गया था।
वर्ष 2010 में डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन
वर्ष 2010 में इंडियन एयरफोर्स ने पुराने कम्यूनिकेशन सिस्टम की जगह अपने खुद के पूरी तरह से सुरक्षित और विश्वसनीय नेटवर्क और गीगाबाईट डिजिटल इंफॉर्मेशन ग्रिड को प्रयोग करना शुरू कर दिया।