पाक की गोलीबारी ने सरहद पर उजाड़ दिया भारतीय घर, भाईदूज पर निकली शवयात्रा
ग्रामीणों ने पाकिस्तान के नरसंहार फैलाने की दास्तांं को बयां करते हुए कहा कि पाकिस्तान की गोलीबारी में मंगलवार को रामगढ़ सब-सेक्टर में माराराम के परिवार से चार लोगों समेत कुल 6 लोगों की मौत हो गई।
नई दिल्ली। रंगनूर कैंप के 65 वर्षीय माराराम को नहीं मालूम होगा कि भाईदूज पर घर पहुंचते ही वह परिवार समेत पाकिस्तान की गोलीबारी का शिकार हो जाएंगे।
ग्रामीणों ने पाकिस्तान के नरसंहार फैलाने की दास्तांं को बयां करते हुए कहा कि पाकिस्तान की गोलीबारी में मंगलवार को रामगढ़ सब-सेक्टर में माराराम के परिवार से चार लोगों समेत कुल 6 लोगों की मौत हो गई।
क्षतिग्रस्त मकान दे रहा क्रूरता की गवाही
माराराम का क्षतिग्रस्त मकान पाकिस्तान की क्रूरता और हैवानियत की गवाही दे रहा है। पाकिस्तान की गोलीबारी में माराराम के दो पोते(5 वर्षीय अभि और 7 वर्षीय ऋषभ) भी मारे गए। वे दोनों बरामदे में खेल रहे थे। घर में पड़े खून से सने खिड़कियों की कांच के टुकड़े पाकिस्तान की हैवानियत का प्रमाण दे रहे थे।
चारों तरफ था खून और लाशें
माराराम की तीन बेटियां अपने पतियों और बच्चों समेत भाईदूज पर घर आई थीं। इसके अलावा माराराम का फौजी बेटा भी घर पर आया था। माराराम के पड़ोसी 55 वर्षीय ताराचंद ने बताया कि,'मंगलवार की सुबह एक जाेेरदार धमाका हुआ और इसके बाद कई चीखें सुनाई दीं। इसके बाद मैं तुरंत माराराम की मकान की तरफ दौड़ा और वहां का मंंजर देख मेरे पांव तले जमीन खिसक गई। वहां चारों तरफ खून और लाशें ही नजर आ रही थीं। उस वक्त तक एक बच्चा जिंदा था।'
'मैंने तुरंत अपनी बाइक निकाली और अपनी पत्नी कांता देवी को पीछे बैठाकर बच्चे के इलाज के लिए तुरंत रामगढ़ अस्पताल की तरफ भागा। मेरी बीवी ने मुझसे बच्चे को पानी देने के लिए कहा। मैंने बाइक रोकी और देखा कि बच्चे की मौत हो चुकी थी।'
पलभर में पसर गया गांव में मातम
जीरो लाइन से बमुुश्किल तीन किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव को पाकिस्तान की तोपें चार पोस्ट्स के निशाने पर थीं। रंगनूर कैंप देखते ही देखते एक खामोश भूतिया गांव में तब्दील हो गया।
गांव में हर ताफ खामोशी थी। बुधवार की सुबह 11 बजे मातम, चीखें और विलाप की आवाजें सुनाई दीं जब माराराम का शव उनके घर लाया गया।
मंजर देख भयभीत हो गए गांववाले
65 वर्षीय गुरदास लाल इस पूरे मंजर को देखकर भयभीत थे। उन्होंने कहा कि,'शवों को ढोने या घायलों को अस्पताल तक ले जाने के लिए एंबुलेंस नहींं थीं। पीएम मोदी ने हमें यह दिया है। अब वे(आर्मी और बीएसएफ) हमसे हमारे पशुओं की देखभाल करने और सुरक्षित जगहों पर तुरंत चले जाने को कह रहे हैं।'
600 से ज्यादा परिवार हैं इस गांव में
इस गांव में कुल 600 से ज्यादा परिवार हैं और यहां की जनसंख्या तकरीबन 3,500 है। इसी गांव के रवि कुमार कहते हैं कि,'इससे ज्यादा विडंबनीय भला क्या हो सकता है कि मारा राम और उनकी बेटी(अंजू देवी) दो पोतों समेत भाईदूज के दिन मार दिए गए। 24 घंटे बीत जाने के बाद भी सांबा जिले के प्रशासन या स्थानीय बीजेपी विधायक चंदेर प्रकाश गंगा परिवार से मिलने नहीं पहुंचे।'