रेलवे की ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने बनाया नया रिकॉर्ड, एक ही दिन में हुई 718 मीट्रिक टन की डिलीवरी
नई दिल्ली, मई 8: पूरा देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर से परेशान है। पहली लहर में जहां पीपीई किट, टेस्ट किट, मास्क, सैनिटाइजर की किल्लत हुई थी, तो वहीं इस बार सबसे ज्यादा ऑक्सीजन के लिए जूझना पड़ रहा है। हालांकि केंद्र सरकार इसके लिए युद्धस्तर पर काम कर रही है। जिसके तहत टैंकर, हवाई जहाज और ट्रेनों के जरिए लगातार देश के अलग-अलग हिस्सों में ऑक्सीजन की सप्लाई हो रही है।
मामले में केंद्र सरकार ने कहा कि 41 टैंकरों में 718 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की सबसे बड़ी एकल डिलीवरी शनिवार को देशभर में की गई। इसमें सबसे ज्यादा 222 मीट्रिक टन उत्तर प्रदेश को मिला, इसके बाद 180 टन हरियाणा के पास गया। वहीं शुक्रवार को रेलवे ने कहा था कि 19 अप्रैल से चल रही ऑक्सीजन एक्सप्रेस सेवा ने देश के अलग-अलग में 2960 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की डिलीवरी की है। इसके लिए 7-7 ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने अपनी यात्रा पूरी कर ली है।
रेलवे के मुताबिक ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों के तेजी से आवागमन के लिए एक ग्रीन कॉरिडोर भी बनाया गया है। साथ ही वो देश के अलग-अलग हिस्सों में बने स्टील प्लांट से ट्रेनों को चला रहे हैं, ताकी जरूरतमंद राज्यों तक ऑक्सीजन पहुंचाई जा सके। साथ ही धीरे-धीरे उनकी ओर से क्षमता भी बढ़ाई जा रही है।
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ऑक्सीजन
की
डिमांड
ज्यादा
क्यों?
दूसरी
लहर
में
वायरस
के
नए
वेरिएंट
तेजी
से
फैल
रहे
हैं
और
ये
संक्रमितों
के
फेफड़े
पर
हमला
कर
रहे।
डॉक्टरों
के
मुताबिक
वायरस
लक्षण
आने
के
तीन
से
चार
दिन
बाद
फेफड़ों
को
संक्रमित
करता
है,
जिससे
ऑक्सीजन
लेवल
गिर
जाता
है,
ऐसे
में
मरीज
को
तुरंत
ऑक्सीजन
ना
मिले,
तो
वो
वेंटिलेटर
पर
चला
जाता
है।
इसी
वजह
से
ऑक्सीजन
की
मांग
तेजी
से
बढ़ी
है।