कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच रेलवे के 200 से ज्यादा कोविड कोच तैनात, 80 हजार बेड स्टैंडबाय
नई दिल्ली- भारतीय रेलवे ने राज्यों की मांगों पर अलग-अलग रेलवे स्टेशनों पर 200 से ज्यादा कोविड कोच तैनात कर दिए हैं। इसकी वजह से कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज या आइसोलेशन में बेड की दिक्कत कम हो जाएगी। यही नहीं भारतीय रेलवे के पास इस समय 5,000 ऐसे कोविड कोच स्टैंडबाय मुद्रा में तैयार खड़े हैं, जो राज्यों की ओर से मांगे जाने पर फौरन देश के किसी भी हिस्से में पहुंचाए जा सकते हैं। इन कोविड कोचों की वजह से अस्पतालों पर पड़ रहे बहुत ज्यादा दबाव से उन्हें कुछ छुटकारा मिलने की उम्मीद है। सबसे बड़ी बात है कि एक कोच में एक साथ 16 बेड के इंतजाम हैं, यानि 5 हजार ही मान लें तो 80,000 बेड बहुत ही कम समय की सूचना पर देश के किसी भी कोने में तैनात किया जा सकता है।
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रेलवे उपलब्ध करवा सकता है 80,000 से ज्यादा बेड
ताजा जानकारी के मुताबिक भारतीय रेलवे ने 4 राज्यों की मांगों पर 204 ऐसे कोविड कोच को अलग-अलग रेलवे स्टेशनों पर तैनात कर दिया है। जैसे ही राज्य और कोच की मांग करेंगे, 5,000 तक ऐसे कोचों की फौरन आपूर्ति कर दी जाएगी। एक कोच में 16 बेड के इंतजाम हो सकते हैं, इसके हिसाब से रेलवे के पास 80,000 बेड स्टैंडबाय मोड पर उपलब्ध है, जो कभी भी देश के किसी भी हिस्से में पहुंचाए जा सकते हैं। अभी तक की जानकारी के मुताबिक राजधानी दिल्ली में बढ़ते केस को देखते हुए 54 कोविड कोच यहां तैनात किए गए हैं। जबकि, यूपी में 70, तेलंगाना में 60 कोच ऑपरेशनल कर दिए गए हैं। बता दें कि शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने गृहमंत्री और स्वास्थ्य मंत्रियों समेत तमाम बड़े अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की थी, जिसमें जिलास्तर पर कोरोना वायरस केस को देखते हुए बेड की उपलब्धता का जायजा लिया था।
दिल्ली को अभी 8,000 बेड रेलवे से मिलेंगे
जबकि, रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ बैक टू बैक दो बैठकें की थीं, जिसके बाद उन्होंने कहा था कि दिल्ली में बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 500 कोविड कोच तैनात किए जाएंगे। रेलवे सूत्रों के मुताबिक दिल्ली के शकूरबस्ती रेलवे स्टेशन पर 54 कोच पहले से लगा दिए गए हैं और इसके अलावा भी कोच जल्दी लगाए जाने हैं। बता दें कि सामान्य रेल कोच को कोविड कोच में तब्दील करने का पूरा खर्चा रेलवे उठा रहा है। बता दें कि रेलवे को एक कोच को कोविड कोच के रूप में तब्दील करने में 67,000 रुपये का खर्च आता है। इस तरह से 5,000 कोविड कोच बनाने में उसे करीब 35 करोड़ रुपये की लागत आई है।
कई लोगों के लिए लाइफलाइन साबित हो सकते हैं ये कोच
बता दें कि रेलवे अधिकारियों के मुताबिक सामान्य रेल कोच को कोविड कोच बनाने में जितनी लागत आती है, उसका आधा खर्चा मजदूरी पर आता है। जबकि, बाकी खर्चे से जो मैटेरियल इस्तेमाल किया जाता है, उसे हालात सुधरने पर दूसरे काम के लिए उपयोग किया जा सकता है। रेलवे ने मार्च में लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही इस तरह की तैयारी शुरू कर दी थी और उसने 5,000 से ज्यादा कोच परिवर्तित कर लिए थे। लेकिन, 90 दिनों तक किसी राज्य को इन कोच की जरूरत नहीं पड़ी। लेकिन, कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ इसकी मांग बढ़ने लगी है और हो सकता है कि लाखों कोरोना संक्रमितों के लिए रेलवे के ऐसे ही कोच आगे चलकर लाइफलाइन साबित हों। हालांकि, ऐसी भी जानकारी है कि जब प्रवासी मजदूरों को देश में इधर-उधर भेजने का जिम्मा रेलवे को मिला था तो उसे कुछ कोच को फिर से सामान्य कोच की तरह बदलने पड़े थे। लेकिन, केस बढ़ने के साथ उसने फिर से अपनी तैयारी पूरी कर ली है।
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