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आदिवासियों के पराक्रम से चकनाचूर हुआ पहाड़ी का गुरुर, दर्जनों 'दशरथ मांझी' मिले और पहाड़ काट कर बना डाली सड़क

Odisha Koraput Village के कारण सुर्खियों में है। दरअसल, ओडिशा के कुछ ग्रामीणों ने खुद पहल की और पहाड़ी काटकर 6 किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली। odisha Koraput village road construction through hill like mountain man dashrath

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इतिहास की कई घटनाएं ऐसी होती हैं जिसे कालगति से चिरंतन कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं। बिहार के गया जिले में माउंटेन मैन दशरथ मांझी का पराक्रम कौन भूल सकता है। कई लोगों ने कहा कि दशरथ मांझी ने पहाड़ काट कर जो रास्ता बनाया वह पुरुषार्थ के अलावा मोहब्बत की अमर निशानी भी है। भले ही ओडिशा का कोरापुट और बिहार का गया कोसों दूर हैं, लेकिन कारनामे सरहदों को बेमानी साबित कर देते हैं और शायद इसलिए ओडिशा के ग्रामीणों ने कोरापुट में सड़क बनाने के लिए पहाड़ी को काट डाला। ओडिशा के लोगों ने दशरथ मांझी से प्रेरणा ली होगी, ऐसा माना जा सकता है। बहरहाल, जानिए पुरुषार्थ की एक और अप्रतिम कहानी (दशरथ मांझी के अलावा बाकी तस्वीरें सांकेतिक)

'माउंटेन मैन' जैसे पराक्रमी सपूतों का पौरुष

'माउंटेन मैन' जैसे पराक्रमी सपूतों का पौरुष

कोरापुट के घंटागुडा में पहाड़ी काटकर बनाई गई सड़क के बारे में न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक गरीब आदिवासी लोगों ने साधन की कमी का बहाना नहीं बनाया। भगवान जगन्नाथ की धरती के इन धरतीपुत्रों ने 'अपने हाथ जगन्नाथ' कहावत को चरितार्थ कर दिखाया। भले ही बिहार के गया निवासी रहे 'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी के बारे में इन लोगों ने नहीं सुना हो, लेकिन कनेक्टिविटी की समस्याओं को दूर करने के लिए कोरापुट के आदिवासियों ने पहाड़ियों को काटकर सड़क बनाने का कारनामा अपने दम पर कर दिखाया।

बना डाली 6 किमी लंबी सड़क

बना डाली 6 किमी लंबी सड़क

सड़क बनाने वाले ग्रामीणों में पुरुषों के अलावा महिलाओं ने भी कंधे से कंधा मिलाया और पहाड़ी को काट डाला। इन लोगों ने कवि की उस पंक्ति को साबित कर दिखाया जिसमें राष्ट्रकवि दिनकर ने दशकों पहले कह दिया था; "मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है।" सामूहिक श्रमदान करने निकले ग्रामीणों ने झाड़ियों को साफ कर दिया और जिले में घंटागुडा को पुकी छाक से जोड़ने वाली 6 किमी लंबी सड़क का निर्माण कर दिखाया।

52 किलोमीटर का दुर्गम सफर

52 किलोमीटर का दुर्गम सफर

रिपोर्ट के मुताबिक घंटागुडा दक्षिणी ओडिशा के कोरापुट शहर से लगभग 35 किमी दूर स्थित है। सड़क की कमी के कारण ग्रामीणों को यहां तक ​​​​पहुंचने के लिए 52 किमी की यात्रा करनी पड़ती है। पहाड़ी के कारण इनका रास्ता और दुर्गम हो जाता था। ऐसे में स्थानीय लोगों ने कच्ची सड़क का निर्माण करने का फैसला लिया।

6 किमी रोड से 20 km घट गई दूरी

6 किमी रोड से 20 km घट गई दूरी

खबरों के मुताबिक ग्रामीणों को विभिन्न कार्यों के लिए मुख्यालय शहर तक पहुंचने में संघर्ष करना पड़ता था। चक्कर लगाने पर मजबूर आदिवासी समाज के लोगों को अक्सर समस्याओं का सामना करना पड़ा। ऐसे में एक ग्रामीण लचना पुरसेठी बताते हैं कि पहाड़ी काटकर सड़क बनाने से दूरी 20 किमी कम होने की बात सामने आई। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों द्वारा बनाई गई 6 किलोमीटर की सड़क से 52 किलोमीटर की दूरी घटकर 32 किलोमीटर रह गई।

ग्रामीणों ने तराशी पहाड़ी

ग्रामीणों ने तराशी पहाड़ी

छोटी सड़क के लिए संबंधित अधिकारियों से अपील की गई, लेकिन मदद नहीं मिली। न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कोरापुट में सड़क निर्माण के बारे में एक ग्रामीण लोचन बिसोई ने कहा, "हमने कई बार अधिकारियों से सड़क के लिए गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसलिए, हमने खुद सड़क बनाने का फैसला किया।" उन्होंने कहा कि कुदाल, दरांती, माछे और कुदाल जैसे कृषि उपकरणों से लैस होकर गरीब आदिवासी ग्रामीणों ने पहाड़ी को तराशना शुरू किया।

भगवान भरोसे रहते हैं लोग

भगवान भरोसे रहते हैं लोग

उन्होंने कहा, "सीधी सड़कों के अभाव में हमें कोरापुट शहर तक पहुंचने में बहुत कठिनाई होती है। खास तौर पर रात में और बारिश के मौसम में जीना दूभर हो जाता है।" ग्रामीणों का कहना है कि तबीयत बिगड़ने पर जान राम भरोसे हो जाती है। कोरापुट अस्पताल में मरीजों को ले जाना किसी बुरे सपने से कम नहीं होता। भगवान ही जानता है कि स्थानीय लोग कैसे आफत से खुद को सुरक्षित बचाते हैं।"

 नौ गांवों के 4000 लोगों को मदद

नौ गांवों के 4000 लोगों को मदद

ग्रामीणों ने कहा कि प्रशासन ने करीब 15 साल पहले पक्की सड़क का निर्माण कराया गया था, लेकिन देखरेख के अभाव और खराब क्वालिटी के कारण सड़क का कोई नामोनिशान नहीं दिखता। ग्रामीणों का दावा है कि उन्होंने जो 6 किलोमीटर की कच्ची सड़क तैयार की है। इससे घंटागुडा के अलावा कम से कम नौ गांवों के लगभग 4000 लोगों को मदद मिलेगी।

60 साल पहले पहाड़ी काटकर बनाई सड़क

60 साल पहले पहाड़ी काटकर बनाई सड़क

इस मामले में दसमंतपुर के खंड विकास अधिकारी डंबुरुधर मल्लिक ने कहा, "ग्रामीण संपर्क कार्यक्रम में गांव को शामिल किया गया है और जल्द ही एक पक्की सड़क का निर्माण किया जाएगा।" बता दें कि ओडिशा के कोरापुट की इस कहानी के सामने आते ही बिहार के गया जिला निवासी रहे दशरथ मांझी का चेहरा सामने आ जाता है। बिहार में गया के पास गहलौर गांव के खेतिहर मजदूर मांझी ने करीब 60 साल पहले पहाड़ काटकर सड़क बनाने का फैसला लिया था।

क्या है मांझी की कहानी

क्या है मांझी की कहानी

मांझी द माउंटेन मैन नाम टाइटल वाली फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने इस कहानी को जीवंत कर दिखाया। गौरतलब है कि 1959 में एक पहाड़ से गिरने के बाद मांझी की पत्नी की मृत्यु हो गई थी। सड़कों की कमी के कारण मांझी घायल बीवी को घर से 90 किमी दूर कस्बे के अस्पताल भी नहीं ले जा सके और उनकी मौत हो गई।

 22 साल की मेहनत का नतीजा

22 साल की मेहनत का नतीजा

इस घटना ने दशरथ मांझी का जीवन बदल दिया। भागीरथ संकल्प लेकर मांझी ने हथौड़े और छेनी का इस्तेमाल कर अकेले पहाड़ियों का गुरुर चकनाचूर कर दिखाया। 9.1 मीटर (30 फीट) चौड़ा और 7.7 मीटर (25 फीट) गहरा रास्ता बनाने की शुरुआत के बाद मांझी ने 110 मीटर लंबी (360 फीट) सड़क तैयार की। शुरुआत में स्थानीय लोग मांझी की खिल्ली उड़ाते रहे, लेकिन 22 साल की अथक मेहनत के बाद दशरथ मांझी का संकल्प पूरा हुआ। गया जिले के अतरी और वजीरगंज ब्लॉक के बीच की यात्रा 55 किमी से घटकर मात्र 15 किमी रह गई। आज भी यहां से गुजरने वाले लोगों को रोमांच हो उठता है।

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odisha Koraput village road construction through hill like mountain man dashrath manjhi
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